आज़ादी के ठेकेदारों ने जिस वीर के बारें में नहीं बताया होगा, बिना खड्ग बिना ढाल के आज़ादी दिलाने की जिम्मेदारी लेने वालों ने जिसे हर पल छिपाने के साथ ही सदा के लिए मिटाने की कोशिश की ,, उन लाखों सशत्र क्रांतिवीरों में से एक थे सागरमल गोपा जी. भारत के इतिहास को विकृत करने वाले चाटुकार इतिहासकार अगर सागरमल गोपा जी का सच दिखाते तो आज इतिहास काली स्याही का नहीं बल्कि स्वर्णिम रंग में होता. आज सागरमल गोपा जी के जन्मदिवस पर सुदर्शन परिवार उन्हें कोटि-कोटि नमन करता है और उनकी गौरव गाथा को समय-समय पर जनमानस के आगे लाते रहने का संकल्प भी दोहराता है.
सागरमल गोपा जी का जन्म 3 नवम्बर 1900 को जैसलमेर में हुआ था. 1915 ई में सागरमल गोपा जी ने अपने मित्रों के साथ मिलकर सर्वहितकारीवाचनालय की स्थापना की. लेकिन राज्य ने इस वाचनालय में देशभक्तिपूर्ण साहित्य को मंगवाने की अनुमति नहीं दी.बता दें कि फिर भी सागरमल गोपा गुप्त रूप से राष्ट्रीय साहित्य मंगवाकर उसका प्रचार करते रहे. 7 जनवरी 1918 को जैसलमेर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए गोपा जी ने राज्य में मिडिल स्तर की शिक्षा उपलब्ध करवाने की मांग की. गोपा जी ने 1920 ई में महारावल से भेंटकर जनता की पेयजल, शिक्षा, स्वास्थ्य एवं यातायात की समस्याओं को दूर करने का आग्रह किया.
वहीं 1920-21 ई में सागरमल गोपा जी ने नागपुर में असहयोग आंदोलन में भाग लिया. उसने नागपुर से समाचार पत्रों के माध्यम से जैसलमेर राज्य की स्थिति से पूरे देश को अवगत कराया. दिल्ली से प्रकाशित विजय एवं वर्धा से राजस्थान केसरी के माध्यम से गोपा जी ने जैसलमेर में राजनीतिक एवं सामाजिक सुधारों की मांग करना शुरू कर दिया.सागरमल गोपा जी ने 1932 ई में रघुनाथसिंह मेहता जी के साथ मिलकर जैसलमेर में माहेश्वरी नवयुवक मंडल की स्थापना की यह संस्था गुप्त रूप से राष्ट्रीय भावनाओं के प्रचारार्थ राष्ट्रीय साहित्य वितरण एवं राष्ट्रीय भावना जागृत करने का कार्य करती थी.
महारावल ने इस संस्था के पुस्तकालय को जब्त कर इसे गैरकानूनी घोषित कर दिया तथा मंडल अध्यक्ष रघुनाथसिंह मेहता जी को गिरफ्तार कर उन पर मुकदमा चलाया, जिसका लोगों ने प्रबल विरोध किया.बता दें कि सागरमल गोपा जी ने नागपुर में जैसलमेर प्रजामंडल की स्थापना की तथा 1936-37 ई में जैसलमेर राज्य प्रजा परिषद की स्थापना की. गोपा जी अपने भाई शिवशंकर गोपा जी के साथ मिलकर नागपुर से ही जैसलमेर में जन चेतना जागृत करने एवं राजनीतिक सुधारों की मांग करते रहे.
जानकारी के लिए बता दें कि 22 जून 1941 ई को सागरमल गोपा जी को गिरफ्तार कर लिया गया. एवं मुकदमा चलाकर साढ़े सात वर्ष की सजा दी गई. जैसलमेर में उन्हें अमानुषिक यातनाएं दी गई. मारवाड़ लोकपरिषद् के कार्यकर्ताओं ने उनकी रिहाई के प्रयास किये मगर राज्य ने उन्हें रिहा नहीं किया.
वहीं 3 अप्रैल 1946 को सागरमल गोपा जी को मिट्टी का तेल डालकर जला दिया गया. समुचित चिकित्सा के अभाव में मातृभूमि का यह सच्चा सपूत 4 अप्रैल 1946 को सदा सदा के लिए बलिदानी हो गए. आज सागरमल गोपा जी के जन्मदिवस पर सुदर्शन परिवार उन्हें कोटि-कोटि नमन करता है और उनकी गौरव गाथा को समय-समय पर जनमानस के आगे लाते रहने का संकल्प भी दोहराता है.