रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बेंगलुरु, कर्नाटका में सोमवार को आयोजित एरो इंडिया 2025 के सीईओ राउंडटेबल के दौरान वैश्विक मूल उपकरण निर्माताओं (OEMs) से अपील की कि वे भारतीय रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र द्वारा प्रदान की जा रही अवसरों का उपयोग करें और आज की जटिल भू-राजनीतिक स्थिति के कारण उत्पन्न चुनौतियों के लिए समाधान और प्रतिकार उपाय खोजें।
वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य और नई चुनौतियाँ
रक्षा मंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि आज के समय में सैन्य संचालन में संचार और डेटा साझीदारियों की प्रकृति काफी जटिल हो गई है। उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष आधारित नेविगेशन प्रणालियों, संचार और निगरानी प्रणालियों पर निर्भरता बढ़ी है, जिससे इन संसाधनों को हमारे संचालन योजनाओं में एकीकृत करने की आवश्यकता है। ड्रोनों का उपयोग हाल की संघर्षों में इस बात का संकेत देता है कि भविष्य मानवित, मानवरहित और स्वायत्त युद्ध प्रणालियों के समन्वित प्रयासों पर निर्भर करेगा।
भारत की आत्मनिर्भरता की दिशा में ठोस कदम
राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत सरकार, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता के लिए पारदर्शी और उद्योग-मैत्री नीतियां लागू कर रही है। उन्होंने बताया कि भारतीय रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र द्वारा प्रदान किए गए अवसरों का लाभ उठाने के लिए आत्मनिर्भरता की दिशा में उठाए गए कदमों की चर्चा की।
रक्षा क्षेत्र में विदेशी निवेश और संयुक्त उद्यम
रक्षा मंत्री ने सरकार द्वारा उठाए गए परिवर्तक कदमों का उल्लेख किया, जैसे कि रक्षा क्षेत्र में 75% तक एफडीआई (स्वचालित मार्ग से) और 100% एफडीआई (सरकारी अनुमोदन मार्ग से) की अनुमति। अब तक 46 संयुक्त उद्यम और कंपनियों को रक्षा क्षेत्र में विदेशी निवेश की स्वीकृति मिल चुकी है। इसके अलावा, उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में स्थापित रक्षा औद्योगिक गलियारों में 250 से अधिक एमओयू साइन किए जा चुके हैं।
रक्षा निर्यात में अभूतपूर्व वृद्धि
रक्षा मंत्री ने बताया कि भारत ने पिछले 10 वर्षों में रक्षा उत्पादों के निर्यात में 31 गुना वृद्धि देखी है। उन्होंने यह भी बताया कि रक्षा परीक्षण बुनियादी ढांचे के तहत एयरोस्पेस और रक्षा क्षेत्र के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है, जिससे भारत की रक्षा निर्यात क्षमता को और मजबूती मिलेगी।
देशी उद्योगों के लिए सकारात्मक स्थानीयकरण सूचियाँ
रक्षा मंत्री ने सकारात्मक स्थानीयकरण सूचियों की घोषणा को सरकार की आत्मनिर्भरता की दिशा में एक स्पष्ट संकेत बताया। उन्होंने कहा कि रक्षा क्षेत्र में नवाचार परियोजनाओं के लिए 500 से अधिक स्टार्टअप्स और एमएसएमई (Micro, Small, and Medium Enterprises) "Innovations for Defence Excellence" (iDEX) के तहत काम कर रहे हैं।
सीईओ राउंडटेबल का उद्देश्य
रक्षा मंत्री ने सीईओ राउंडटेबल को एक ऐसा मंच बताया जहां भारत को रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने का विचार जड़ें जमाएगा और वास्तविकता में परिणत होगा। उन्होंने कहा कि यह मंच वैश्विक सहयोग की भावना से भारत को एक प्रमुख रक्षा निर्माता और सेवा प्रदाता बनाने के लिए काम करेगा।
एरो इंडिया 2025 में वैश्विक OEMs की भागीदारी
इस राउंडटेबल में 19 देशों (जैसे कि अमेरिका, फ्रांस, रूस, दक्षिण कोरिया, यूके, जापान, इज़राइल, ब्राजील) के OEMs, 35 भारतीय कंपनियों और 16 रक्षा डीपीएसयूज ने भाग लिया। प्रमुख विदेशी OEMs में एयरबस (फ्रांस), उल्ट्रा मरीटाइम (अमेरिका), जीएनटी (दक्षिण कोरिया), जॉन कॉकरेल डिफेंस (यूके), राफेल एडवांस्ड डिफेंस सिस्टम (इज़राइल), सफ्रान (फ्रांस) और लिबहेर एयरोस्पेस (फ्रांस) शामिल थे।
रक्षा क्षेत्र में नए अवसर और नवाचार
रक्षा मंत्री ने इस अवसर पर यह भी बताया कि भारत में स्टार्टअप्स और युवा पीढ़ी की कौशल क्षमता और नवाचार के माध्यम से भारतीय रक्षा उद्योग भविष्य की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम होगा।
समारोह में उपस्थित प्रमुख व्यक्तित्व
सीईओ राउंडटेबल में रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ, रक्षा प्रमुख जनरल अनिल चौहान, सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी, नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी, वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह, रक्षा सचिव श्री राजेश कुमार सिंह और रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव डॉ. समीर वी. कामत सहित कई प्रमुख हस्तियां उपस्थित थीं।