पटना के अनीसाबाद में ATS और और पटना पुलिस ने बीते दिनों पकड़े गए फर्जी टेलीफोन एक्सचेंज मामले में जांच की रफ़्तार तेज कर दी है. पुलिस ने मौके से बरामद कंप्यूटर, सीपीयू व 64 सिम कार्ड के डाटा को खंगालना शुरू कर दिया है बता दें कि आतंकी गतिविधियों में कुछ ऐसे ही फ़र्ज़ी टेलीफोन एक्सचेंज का इस्तेमाल किया जाता है. यह इसलिए ताकि आतंकी इंटेलीजेंस एजेंसियों या सरकार के गेटवे में न आ सके.
जांच के अनुसार, सबसे अधिक कॉल पाकिस्तान व खाड़ी देशों (ईरान, इराक, सऊदी अरब, ओमान आदि) में किए गए हैं। हाल के दिनों में इस इलाके में आने वाले इंटरनेशनल कॉल के लगातार ड्रॉप होने के बाद खुफिया एजेंसी को शक हुआ जिसके बाद यह कार्रवाई की गई। आपको बता दें कि फर्जी टेलीफोन एक्सचेंज इंटरनेशनल कॉल को लोकल कॉल में बदलकर राष्ट्रीय सुरक्षा से खिलवाड़ करते हैं।
बता दें कि इसके लिए वीओआइपी (वॉयस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल टेक्नोलॉजी) का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें विदेश में बैठा व्यक्ति इंटरनेट कॉल करता है और यह फर्जी एक्सचेंज उस कॉल को सरकार के गेटवे से बचाते हुए वॉयस कॉल कर लोकल में बदल देते हैं। इसमें विदेश की लोकेशन नहीं दिखती। आतंकी गतिविधियों में अकसर ऐसे ही फर्जी टेलीफोन एक्सचेंज के जरिए बातचीत की जाती है, ताकि खुफिया एजेंसी या सरकार के गेटवे में आए बिना बात की जा सके।
इस मामले की जांच कर रही जांच टीम ने जानकारी दी कि, फर्जी टेलीफोन एक्सचेंज का पूरा सिंडिकेट काम करता है। इसके मुख्य संचालन दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों में बैठते हैं और छोटे-छोटे शहरों में अपना नेटवर्क तैयार करते हैं। अनीसाबाद में पकड़े गए फर्जी टेलीफोन एक्सचेंज के तार सिलीगुड़ी से भी जुड़ रहे हैं। इसका मुख्य संचालक सबीउल्लाह सिलीगुड़ी में रहता है। इसके पहले पिछले साल गांधी मैदान में पकड़े गए फर्जी एक्सचेंज मामले में भी नेपाल और दिल्ली का लिंक सामने आया था मगर कोई बड़ा खुलासा नहीं हो सका।
उन्होंने आगे बताया कि गिरफ्तार आरोपितों अनिल चौधरी और सुशील चौधरी ने पूछताछ में बताया कि वे सस्ती दर पर विदेशों में बात कराते थे। बिहार के अधिसंख्य लोग खाड़ी देशों में रोजगार के लिए रहते हैं, इसलिए वहां के कॉल ज्यादा हैं। यह कॉल बिहार में सिवान, छपरा, गोपालगंज जैसे जिलों में डायवर्ट किए जाते थे। फर्जी एक्सचेंज के माध्यम से विदेश से कॉल करने वाले लोगों की कम पैसे में बात हो जाती थी। ऐसे में आरोपितों को जितना भी पैसा मिलता था वह लाभ ही होता था।