इनपुट- रवि शर्मा, लखनऊ
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के आह्वान पर आज लगातार 97वें दिन बिजली कर्मियों ने समस्त जनपदों और परियोजनाओं पर विरोध प्रदर्शन जारी रखा। संघर्ष समिति के सभी घटक श्रम संघों/ सेवा संगठनों के केंद्रीय पदाधिकारियों की 08 मार्च को लखनऊ में बैठक बुलाई गई है। इस बैठक में संघर्ष के अगले कार्यक्रम की घोषणा की जाएगी।
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने कहा की पावर कार्पोरेशन प्रबंधन को निजीकरण की जिद छोड़कर बिजली कर्मचारियों को विश्वास में लेकर सुधार के कार्यक्रम चलाने चाहिए। उन्होंने कहा कि विगत नवंबर के अंत में पावर कार्पोरेशन प्रबंधन ने निजीकरण का राग छेड़कर प्रदेश के ऊर्जा निगमों में अनावश्यक तौर पर औद्योगिक अशांति का वातावरण बना दिया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के और उपभोक्ताओं के व्यापक हित में यह वातावरण समाप्त होना ही चाहिए। प्रबंधन यह कह दे कि निजीकरण नहीं होगा और एक वर्ष सुधार को समर्पित, तो बिजली कर्मी दिन रात प्रयास कर ए टी एंड सी हानियां राष्ट्रीय मानक 15% के नीचे लाकर दिखा देंगे।
उन्होंने कहा कि संघर्ष समिति का हमेशा से ही यह मूल मंत्र है सुधार और संघर्ष। निजीकरण के विरोध में संघर्ष करते हुए विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश ने बिजली कर्मियों का आह्वान किया है कि वह मार्च के महीने में अधिकतम राजस्व असली का कीर्तिमान बनाकर दिखाएं। बिजली कर्मी संघर्ष के साथ सुधार के इस अभियान में जुट जाएं।
उन्होंने कहा कि निजीकरण के पीछे केवल भ्रष्टाचार है। यदि पावर कार्पोरेशन प्रबंधन अपनी निजीकरण की जिद पर अड़ा रहा तो विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति इसके पीछे के सारे भ्रष्टाचारी से आम जनता को अवगत कराएगी। इस हेतु नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ़ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एंड इंजीनियर्स के तत्वावधान में प्रदेश में मार्च के महीने में चार बड़ी रैली आयोजित की जाएगी। इनकी तारीख 8 मार्च को घोषित कर दी जाएगी। आज वाराणसी, आगरा, मेरठ, कानपुर, गोरखपुर, मिर्जापुर, आजमगढ़, बस्ती, अलीगढ़, मथुरा, एटा, झांसी, बांदा, बरेली, देवीपाटन, अयोध्या, सुल्तानपुर, हरदुआगंज, पारीछा, ओबरा, पिपरी और अनपरा में विरोध सभा हुई।