भारत की प्रमुख सीमेंट कंपनी, केजेएस सीमेंट वित्तीय अनियमितताओं और प्रबंधन की समस्याओं के कारण विवादों में घिरी हुई है। कंपनी के प्रबंध निदेशक पवन कुमार अहलूवालिया पर उनकी भतीजी हिमांगिनी सिंह ने गंभीर आरोप लगाए हैं। हिमांगिनी की शिकायत को लेकर अब तक हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट दोनों ने FIR रद्द करने से मना कर दिया है, और जांच जारी रखने का आदेश दिया है।
पवन अहलूवालिया पर क्या आरोप हैं?
हिमांगिनी सिंह ने पवन कुमार अहलूवालिया और उनकी पत्नी इंदु अहलूवालिया पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि इन लोगों ने कंपनी के शेयरधारिता में हेरफेर किया, कर चोरी की और कंपनी के धन का व्यक्तिगत उपयोग किया। आरोपों के अनुसार, इस धन का उपयोग विलासिता की वस्तुओं, जैसे ज्वेलरी, विदेश यात्राओं और कलाकृतियों पर किया गया। इसके अलावा, हिमांगिनी ने यह भी दावा किया कि उनके पिता के नाम पर मौजूद शेयरों को उनकी मृत्यु के बाद कम कर दिया गया, जिससे पारिवारिक व्यवसाय में पारदर्शिता की कमी सामने आई।
EoW की जांच और आरोप
हिमांगिनी के आरोपों के बाद, दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EoW) ने पवन कुमार अहलूवालिया और अन्य पर FIR दर्ज की। इन पर आपराधिक षड्यंत्र, धोखाधड़ी और फर्जी दस्तावेज बनाने जैसे आरोप लगाए गए हैं। इसके अलावा, GST इंटेलिजेंस ने भी कंपनी की गतिविधियों की गहन जांच की और पाया कि बिना उचित चालान के नकद में सीमेंट और क्लिंकर की बिक्री की गई, जिससे अनियमितताओं का खुलासा हुआ।
कोयला आपूर्ति विवाद
इसके अलावा, हिमांगिनी ने यह भी आरोप लगाया कि KJS सीमेंट मध्य प्रदेश में एक कोयला आपूर्ति समझौते से संबंधित विवाद में भी फंसी हुई है। पवन कुमार अहलूवालिया पर कोयला घोटाले में शामिल होने के आरोप भी लगाए गए हैं, जिससे उनकी कानूनी परेशानियाँ और बढ़ गई हैं।
विशेषज्ञों की राय
विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला न केवल पारिवारिक व्यवसायों की समस्याओं को उजागर करता है, बल्कि उत्तराधिकार विवाद, पारदर्शिता की कमी और प्रबंधन की कमजोरी जैसी समस्याओं को भी सामने लाता है। अगर इन आरोपों की पुष्टि होती है, तो यह न केवल केजेएस सीमेंट बल्कि भारतीय कॉर्पोरेट प्रशासन के मानकों पर भी गंभीर असर डाल सकता है।
SC का आदेश
सुप्रीम कोर्ट का हालिया निर्णय जांच को और गंभीरता से आगे बढ़ाने का संकेत देता है। कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि इस निर्णय से यह स्पष्ट हो गया है कि वित्तीय अनियमितताओं की गहराई से जांच की आवश्यकता है। जैसे-जैसे यह कानूनी प्रक्रिया आगे बढ़ेगी, केजेएस सीमेंट और पवन कुमार अहलूवालिया से जुड़े और कई खुलासे हो सकते हैं, जो व्यापार में पारदर्शिता की कमी को उजागर करेंगे।