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8 फरवरी : मदन लाल ढींगरा जी जन्मजंयती दिवस विशेष- क्रूर कर्जन वाईली को ब्रिटेन में घुस कर मारना भी एक “सर्जिकल स्ट्राइक” थी जिसके सूत्रधार थे वीर सावरकर जी

आज मदन लाल ढींगरा जी के जन्मजयंती पर सुदर्शन परिवार उन्हें कोटि-कोटि नमन करता है और उनकी गौरव गाथा को समय-समय पर जनमानस के आगे लाते रहने का संकल्प भी दोहराता है.

Sumant Kashyap
  • Feb 8 2025 7:11AM

जहां भारत के जांबाज़ सैनिको ने पाकिस्तान को उसके घर में घुस कर औकात बता दी है और देश को गौरवान्वित किया है. वही, आज भारत के उस महान सपूत का जन्मजंयती दिवस है जिन्होंने अपने जीवन को राष्ट्रप्रेम और धर्मरक्षा में लगा दिया था. विदित हो कि विदेशी धरती पर विदेशी आक्रान्ता पर हुए उस वार को भी एक प्रकार की सर्जिकल स्ट्राइक कहा जा सकता है.

जिसने सावरकर जी को अपना गुरु मानने वाले क्रांतिकारी मदन लाल ढींगरा जी ने लन्दन में जा कर क्रूर अंग्रेज अफसर कर्जन वाईली को ढेर कर दिया था. कर्जन वाईली को जहां मारा गया था. वो स्थान ब्रिटेन के अतिसुरक्षित स्थलों में से एक था लेकिन उस स्थल को भी भेद गये थे. भारत के वो लाल जिनको नहीं मिला इतिहास में स्थान.

यदि मदन लाल ढींगरा जी को इतिहास में स्थान दिया जाता तो पहले तो स्वघोषित अहिंसा के सिद्धांत झूठे साबित होते. इतना ही नहीं मदन लाल ढींगरा जी की चर्चा बिना वीर सावरकर जी के सदा ही अधूरी रहती है. बी.ए. करने के बाद मदन लाल जी को उन्होंने लन्दन भेज दिया. वहां उसे क्रांतिकारी श्यामजी कृष्ण वर्मा जी द्वारा स्थापित ‘इण्डिया हाउस’ में एक कमरा मिल गया. उन दिनों विनायक दामोदर सावरकर जी भी वहीं थे.

10 मई, 1908 को इण्डिया हाउस में 1857 के स्वतंत्रता संग्राम की अर्द्धशताब्दी मनायी गई. उसमें बलिदानी वीरों को श्रद्धाजलि दी गयी तथा सभी को स्वाधीनता के बैज भेंट दिये गये. सावरकर जी के भाषण ने मदनलाल जी के मन में हलचल मचा दी.अगले दिन बैज लगाकर वह जब कॉलेज गया, तो अंग्रेज छात्र मारपीट करने लगे. मदन लाल ढींगरा जी का मन बदले की आग में जल उठा. उसने वापस आकर सावरकर जी को सब बताया.

उन्होंने पूछा, क्या तुम कुछ कष्ट उठा सकते हो ? मदन लाल जी ने अपना हाथ मेज पर रख दिया. सावरकर जी के हाथ में एक सूजा था. उन्होंने वह उसके हाथ पर दे मारा. सूजा एक क्षण में पार हो गया; पर मदन लाल जी ने उफ तक नहीं की. सावरकर जी ने उसे गले लगा लिया. फिर तो दोनों में ऐसा प्रेम हुआ कि राग-रंग में डूबे रहने वाले मदन लाल ढींगरा जी का जीवन बदल गया. वीर सावरकर की योजना से मदन लाल जी ‘इण्डिया हाउस’ छोड़कर एक अंग्रेज परिवार में रहने लगे.

उन्होंने अंग्रेजों से मित्रता बढ़ाई पर गुप्त रूप से वह शस्त्र संग्रह उनका अभ्यास तथा शस्त्रों को भारत भेजने के काम में वीर सावरकर जी के साथ लगे रहे. ब्रिटेन में भारत सचिव का सहायक कर्जन वायली था. वह विदेशों में चल रही भारतीय स्वतन्त्रता की गतिविधियों को कुचलने में स्वयं को गौरवान्वित समझता था. मदन लाल जी को उसे मारने का काम सौंपा गया. मदन लाल जी ने एक कोल्ट रिवाल्वर तथा एक फ्रैच पिस्तौल खरीद ली.

वह अंग्रेज समर्थक संस्था ‘इण्डियन नेशनल एसोसिएशन’ का सदस्य बन गया. एक जुलाई, 1909 को इस संस्था के वार्षिकोत्सव में कर्जन वायली मुख्य अतिथि था. मदन लाल ढींगरा जी भी सूट और टाई में सजकर मंच के सामने वाली कुर्सी पर बैठ गये. उनकी जेब में पिस्तौल, रिवाल्वर तथा दो चाकू थे. कार्यक्रम समाप्त होते ही मदन लाल जी ने मच के पास जाकर कर्जन वायली के सीने और चेहरे पर गोलियां दाग दीं. वह नीचे गिर गया.

मदन लाल ढींगरा जी को पकड़ लिया गया. 5 जुलाई को इस क्रूर अंग्रेज की हत्या की निन्दा में एक सभा हुई; पर वीर सावरकर जी ने वहां निन्दा प्रस्ताव पारित नहीं होने दिया. उन्हें देखकर लोग भय से भाग खड़े हुए. ये वो सर्जिकल स्ट्राइक के जैसा ही था जो इतिहास में हमारे गौरवशाली पूर्वज करते आये हैं लेकिन न जाने किस सोच से ग्रसित कुछ कलमकारों ने उसको विकृत किया , वो भी विदेशियों को खुश करने के चक्कर में.

आज मदन लाल ढींगरा जी के जन्मजयंती पर सुदर्शन परिवार उन्हें कोटि-कोटि नमन करता है और उनकी गौरव गाथा को समय-समय पर जनमानस के आगे लाते रहने का संकल्प भी दोहराता है.

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