इनपुट-अंशुमान दुबे, लखनऊ
नगर निगम टैक्स वसूली के लिए लगातार प्रयासरत है और अब उसने 50 हजार रुपये से अधिक के सभी बड़े बकायदारों के खिलाफ कार्रवाई करना शुरू कर दिया है। खासकर उन बकायदारों पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है, जिन्होंने पिछले अकाउंटिंग ईयर का भी टैक्स नहीं जमा किया है।
इस कार्रवाई के तहत कई जोन में सोमवार को सीलिंग की प्रक्रिया भी शुरू की गई है। नगर निगम की योजना है कि सबसे पहले उन बकायदारों को नोटिस जारी किया जाए जिन पर एक करोड़ रुपये से अधिक का बकाया है। इन बकायदारों में सबसे पहले रेलवे विभाग का नाम लिया जा रहा है। रेलवे विभाग ने साल 2002 से नगर निगम का सर्विस चार्ज नहीं जमा किया है, जबकि नगर निगम हर साल रेलवे के लाखों टन कूड़े का निस्तारण भी करता आ रहा है।
22 साल का 220 करोड़ रुपये बकाया-
नगर निगम के अधिकारियों के अनुसार, रेलवे विभाग पर लगभग 220 करोड़ रुपये का बकाया है। नगर निगम के मुख्य कर निर्धारण अधिकारी श्री अशोक सिंह ने बताया कि रेलवे विभाग का कुल बकाया 219 करोड़ 72 लाख 30 हजार 312 रुपये है, जो पिछले कई सालों से नहीं जमा किया गया है। इसमें पूर्वोत्तर रेलवे का बकाया 46 करोड़ 84 लाख 11 हजार 133 रुपये है। वहीं, उत्तर रेलवे का बकाया 36 करोड़ 50 लाख 73 हजार 064 रुपये और नॉर्दन ईस्टर्न रेलवे का 8 करोड़ 2 लाख 16 हजार 947 रुपये है। वहीं डायरेक्टर आरपीएफ जगजीवन राम अकादमी तेजी खेड़ा आलमबाग का 28 करोड़ 11 लाख 66 हजार 325 रुपये और सबसे अधिक सर्विस चार्ज 100 करोड़ 23 लाख 62 हजार 843 रुपये आरडीएसओ का बकाया है।
इस बकाए का भुगतान न करने के कारण नगर निगम को भारी नुकसान हो रहा है, क्योंकि रेलवे विभाग के कूड़े का निस्तारण करने के लिए नगर निगम को नियमित रूप से संसाधनों का खर्च करना पड़ता है। नगर निगम अब सख्त कदम उठाने की योजना बना रहा है, ताकि इन बकायेदारों से बकाया राशि प्राप्त की जा सके। यदि बकायेदार अपनी बकाया राशि का भुगतान नहीं करते हैं, तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी, जिसमें कानूनी कदम उठाया जा सकते हैं।
नगर निगम के इस कदम से यह साफ है कि वह अब अपने राजस्व संग्रहण में किसी प्रकार की लापरवाही नहीं बरतना चाहता और बड़े बकायदारों को दबाव में लाकर उनसे बकाया राशि वसूलने का प्रयास कर रहा है। यह कदम नगर निगम के लिए एक सख्त संदेश देने का कार्य करेगा कि किसी को भी टैक्स या सर्विस चार्ज का भुगतान न करने पर कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है।
ये हैं बड़े बकायदार-
शहर में एक करोड़ रुपये से अधिक टैक्स जमा करने के 81 बकायदार हैं। इसके साथ ही 50 लाख रुपये से अधिक टैक्स जमा करने के 139 बकायदार हैं। 50 हजार रुपये से अधिक के 26 हजार 300 बकायदार हैं।