लोकसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक की समीक्षा के लिए गठित संयुक्त समिति (जेपीसी) अपनी रिपोर्ट सोमवार को प्रस्तुत करेगी। लोकसभा सचिवालय द्वारा जारी किए गए बुलेटिन के अनुसार, समिति के अध्यक्ष जगदम्बिका पाल और सदस्य संजय जायसवाल इस रिपोर्ट को लोकसभा में पेश करेंगे। यह रिपोर्ट पहले ही गुरुवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को सौंप दी गई थी।
विधेयक के उद्देश्य और प्रावधान
रिपोर्ट में विधेयक के सभी महत्वपूर्ण प्रावधानों का विवरण होगा। इसे हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में पेश किया जाएगा, जिसमें उन सभी साक्ष्यों का भी रिकॉर्ड शामिल है, जो समिति के सामने रखे गए थे। यह साक्ष्य विधेयक के प्रभावी और न्यायसंगत कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। इस विधेयक का मुख्य उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन, संचालन और निगरानी में सुधार लाना है, ताकि इन संपत्तियों का उपयोग अधिक पारदर्शी और न्यायपूर्ण तरीके से हो सके।
विपक्ष का विरोध
समिति ने बुधवार को बहुमत से रिपोर्ट को मंजूरी दी, जिसमें सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) के सदस्यों द्वारा सुझाए गए संशोधन भी शामिल थे। हालांकि, विपक्ष ने इस प्रक्रिया पर गंभीर आपत्ति जताई और इसे वक्फ बोर्डों को नष्ट करने की कोशिश करार दिया। संयुक्त समिति ने 15-11 के बहुमत से विधेयक पर अपनी रिपोर्ट को स्वीकार किया।
विपक्ष का विरोध और आरोप
विपक्षी सदस्यों ने इस विधेयक पर असहमति जताई। भाजपा सदस्यों का कहना था कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने का काम करेगा, जबकि विपक्ष इसे मुस्लिम समुदाय के संवैधानिक अधिकारों पर हमला मानता है और वक्फ बोर्डों के कामकाज में हस्तक्षेप का आरोप लगाता है।
ओवैसी का असहमति नोट हटाने का आरोप
एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने आरोप लगाया कि उनकी विस्तृत असहमति नोट को समिति के अध्यक्ष जगदम्बिका पाल ने बिना उनकी अनुमति के हटा दिया। ओवैसी ने कहा कि उन्होंने इस रिपोर्ट पर 231 पन्नों का असहमति नोट तैयार किया था, और यह दावा किया कि अध्यक्ष ने प्रक्रिया के नियमों का दुरुपयोग किया।