कनाडा में एक बार फिर से हिंदू समुदाय की आस्था को निशाना बनाया गया है। ब्रिटिश कोलंबिया स्थित लक्ष्मी नारायण मंदिर पर खालिस्तानी तत्वों ने हमला कर तोड़फोड़ मचाई, जिससे विश्वभर के हिंदुओं में आक्रोश की लहर दौड़ गई है। यह कोई पहली या दूसरी बार नहीं, बल्कि तीसरा बड़ा हमला है, जिससे साफ हो गया है कि कनाडा में हिंदूफोबिया की जड़ें गहरी हो चुकी हैं। घटना रविवार (20 अप्रैल 2025) की देर रात की है।
मंदिर पर हुआ हमला आधी रात को करीब 3 बजे हुआ, जब दो अज्ञात हमलावर मंदिर परिसर में घुसे। मंदिर की दीवारें क्षतिग्रस्त की गईं और सुरक्षा कैमरे तक चुरा लिए गए। यह जानकारी कनाडा के पत्रकार डेनियल बोर्डमैन ने खुद सोशल मीडिया पर वीडियो पोस्ट कर दी है। उन्होंने साफ कहा है कि यह हमला किसी सामान्य बदमाशी का हिस्सा नहीं, बल्कि हिंदुओं के खिलाफ सुनियोजित नफरत का उदाहरण है।
सरकार और पुलिस बेपरवाह, हिंदू समुदाय असुरक्षित
डेनियल बोर्डमैन ने स्पष्ट रूप से कहा है कि उन्होंने मंदिर प्रबंधन से बात की, पर पुलिस और सरकार की चुप्पी हैरान करने वाली है। उनका आरोप है कि सरकारी तंत्र इस धार्मिक हिंसा को लेकर आंखें मूंदे बैठा है, और यह कनाडा की बहुसांस्कृतिक छवि पर बड़ा सवालिया निशान है।
CHCC ने उठाई सख्त कार्रवाई की मांग
कनाडा हिंदू चैंबर ऑफ कॉमर्स (CHCC) ने इस हमले को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। संस्था ने सोशल मीडिया पर वीडियो जारी कर लिखा-
"यह नफरत की आग अब बर्दाश्त से बाहर है। हिंदू समुदाय शांतिप्रिय है, लेकिन लगातार हो रहे हमलों से सब्र जवाब दे रहा है। खालिस्तानी मानसिकता रखने वाले ये लोग कनाडा की धर्मनिरपेक्षता के लिए खतरा हैं। अब सरकार को हर हाल में इन पर लगाम लगानी होगी।"
क्या कनाडा में हिंदू होना गुनाह है?
कनाडा की सरकार अगर अब भी चुप रही तो यह साफ संदेश जाएगा कि हिंदू मंदिरों की पवित्रता और सुरक्षा यहां कोई मायने नहीं रखती। कनाडा में बसे करोड़ों हिंदू मूल के लोग अब यही पूछ रहे हैं- "क्या हमारी आस्था की कोई कीमत नहीं? क्या हमारी सुरक्षा किसी एजेंडे की बलि चढ़ चुकी है?"