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आगरा की बिजली पंचायत में टोरेंट पावर कंपनी के फ्रेंचाइजी करार को रद्द करने का प्रस्ताव पारित

प्रस्ताव में कहा गया है कि इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 का घोर उल्लंघन करते हुए पॉवर कारपोरेशन प्रबन्धन इन निगमों को बेचने की जिस जल्दी में है, उससे लगता है कि कोई बड़ी डील हो गई है।

Rajat Mishra
  • Dec 17 2024 11:39PM

इनपुट- रवि शर्मा, लखनऊ

 
आज आगरा में हुई विशाल बिजली पंचायत में पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के निर्णय और आगरा में चल रहे टोरेंट पावर कंपनी के फ्रेंचाइजी करार को रद्द करने का प्रस्ताव पारित कर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी को प्रेषित किया गया। 
 
प्रस्ताव में कहा गया है कि इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 का घोर उल्लंघन करते हुए पॉवर कारपोरेशन प्रबन्धन इन निगमों को बेचने की जिस जल्दी में है, उससे लगता है कि कोई बड़ी डील हो गई है। बिजली पंचायत ने चेतावनी दी कि यदि प्रदेश के 42 जनपदों में एकतरफा निजीकरण थोप दिया गया तो प्रदेश के शेष 33 जनपदों में भी आनन फानन में बिजली का निजीकरण कर दिया जाएगा और वह दिन दूर नहीं है जब उत्तर प्रदेश के किसान और आम उपभोक्ता लालटेन युग में धकेल दिए जाएंगे।
 
आगरा की बिजली पंचायत में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र के प्रमुख पदाधिकारियों शैलेन्द्र दुबे, प्रभात सिंह, जितेंद्र सिंह गुर्जर, पी०के० दीक्षित, सुहैल आबिद, ठाकुर राजपाल सिंह, मोती सिंह, विशाल भारद्वाज, विष्णु शर्मा, राकेश पाल, हिमालय अकेला, अनूप उपाध्याय, राहुल वर्मा, गौरव कुमार के साथ उपभोक्ताओं और किसानों के प्रतिनिधियों चौधरी रणवीर सिंह चाहर,राजवीर लवानियां, शशिकांत,भारत सिंह, दिगम्बर चौधरी, राजाराम यादव, प्रवीण चौधरी, छीतर मल, नगेन्द्र चौधरी आदि ने संबोधित किया और निजीकरण का निर्णय वापस लेने की मांग की, साथ ही आगरा में टोरेंट पॉवर के फ्रेंचाइजी करार को रद्द करने की मांग की।
 
उन्होंने कहा कि वर्ष 2009 में फ्रेंचाइजी बिडिंग के दौरान ए टी एंड सी हानियों के पूरी तरह गलत आंकड़े देकर आगरा शहर की विद्युत आपूर्ति टोरेंट पावर कंपनी को दे दी गई जिसका दुष्परिणाम आज तक पॉवर कारपोरेशन और आगरा के घरेलू उपभोक्ताओं और किसानों को भुगतना पड़ रहा है। आगरा के निजीकरण से कोई सबक लेने के स्थान पर एक बार पुनः वही हथकंडे अपनाते हुए पूर्वाचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम का निजीकरण ए टी एंड सी हानियों के आंकड़े बढ़ा चढ़कर बताते हुए किया जा रहा है।
 
संघर्ष समिति ने कहा कि पॉवर कारपोरेशन को दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम से वर्ष 2023-24 में रु 04.47 प्रति यूनिट का राजस्व मिला है जो टोरेंट से मिले रु 04.36 प्रति यूनिट से अधिक है जबकि दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के 21 जनपदों में अधिकांश बहुत पिछड़े ग्रामीण क्षेत्र और चम्बल के बीहड़ है। यह आंकड़े खुद बयां कर रहे हैं कि दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम टोरेंट की तुलना में अधिक राजस्व दे रहा है। इसके बावजूद निजीकरण का क्या औचित्य है।
 
बिजली पंचायत ने सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव पारित किया कि बिजली कर्मचारियों, घरेलू उपभोक्ताओं और किसानों के हितों पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले निजीकरण के निर्णय को वापस लिया जाय और टोरेंट पावर कंपनी का आगरा फ्रेंचाइजी करार रद्द किया जाय।

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