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Janmshtami 2024: श्रीकृष्ण को 'छप्पन भोग' लगाने की कैसे हुई शुरुआत... जानिए कान्हा जी के प्रिय 56 व्यंजनों के नाम

जन्माष्टमी के मौके पर श्रीकृष्ण की पूजा के दौरान उनके प्रिय भोग उन्हें जरुर लगाए।

Ravi Rohan
  • Aug 26 2024 4:45PM

जन्माष्टमी का त्योहार आज यानी 26 अगस्त 2024 को मनाया जारहा है। हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन रोहिणी नक्षत्र में भगवान श्रीकृष्ण का प्रकट्य हुआ था। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, बाल कृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि की मध्य रात्रि में हुआ था। इस वर्ष 26 अगस्त को श्री कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जारही है। इस दिन लोग व्रत रखते हैं और रात में 12 बजे श्रीकृष्ण के जन्म के बाद उनकी पूजा करके व्रत का पारण करते हैं। ऐसे में जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण की पूजा के बाद उनके प्रिय भोग उन्हें जरुर लगाए। ऐसा करने से भगवान हम पर प्रसन्न होते हैं। 

जन्माष्टमी का त्योहार आ गया है। मान्यता के अनुसार पूजा के दौरान श्री कृष्ण को छप्पन भोग अर्पित किए जाते हैं। कृष्ण भक्त पूरे दिन श्रीकृष्ण और राधारानी का नाम संकीर्तन करते हैं और मन का निवेश भगवान में करते हैं और दिन के अंत में अपने व्रत को खोलने के साथ श्री कृष्ण की पूजा और उन्हें भोग अर्पित करते हैं। 

 क्या है छप्पन भोग?

 छप्पन भोग एक विशेष प्रकार का भगवान को लगाए जाने वाला भोग है। इसमें 56 प्रकार के विविध व्यंजन होते हैं। इसके पीछे की कहानियां भी बहुत रोचक है। पहली कथा का श्रीमद्भागवत महापुराण में उल्लेख है कि, एक बार श्रीकृष्ण के प्रति प्रेम में डूबी गोपांगनाओं ने यमुनाजी में ब्रह्म मुहूर्त में स्नान किया और मां कात्यायनी से व्रत का फल मांगा कि उन्हें श्रीकृष्ण पति के रूप में प्राप्त हों। इसके बदले उन्होंने मां कात्यायनी को 56 प्रकार के आहार भोग लगाने की वचनबद्धता की, जिसके बाद से 'छप्पन भोग' की परंपरा शुरू हुई। 

 दूसरी मान्यता के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने देवताओं के राजा इंद्र को शिक्षा देने के लिए 7 दिनों तक गोवर्धन पर्वत को बिना कुछ खाए-पिए अपनी छोटी अंगुली पर उठाए रखा था। जिसके बाद श्रीकृष्ण को ब्रजवासियों ने सात दिनों के बाद 56 प्रकार के भोग खिलाए।

 क्या-क्या होता है छप्पन भोग में?

 छप्पन भोग में अन्न, फल, मेवा, मिठाई, पेय पदार्थ, नमकीन, और अचार भी शामिल होते हैं। यानी सभी पाँच प्रकार के स्वाद-युक्त आहार इसमें होते हैं। इनका विशेष क्रम होता है, सबसे पहले दूध से बनी चीजें होती है, फिर नमकीन व्यंजन होते हैं, और अंत में मिठाईयां। 

 भगवान श्रीकृष्ण को अर्पित किए जाने वाले छप्पन भोग में निम्नलिखित आहार शामिल होते हैं:

 भक्त (भात), सूप (दाल), प्रलेह (चटनी), सदिका (कढ़ी), दधिशाकजा (दही शाक की कढ़ी), सिखरिणी (सिखरन), अवलेह (शरबत), बालका (बाटी), इक्षु खेरिणी (मुरब्बा), त्रिकोण (शर्करा युक्त), बटक (बड़ा), मधु शीर्षक (मठरी), फेणिका (फेनी), परिष्टश्च (पूरी)

शतपत्र (खजला), सधिद्रक (घेवर), चक्राम (मालपुआ), चिल्डिका (चोला), सुधाकुंडलिका (जलेबी), धृतपूर (मेसू), वायुपूर (रसगुल्ला), चन्द्रकला (पगी हुई), दधि (महारायता), गोधूम (दलिया), परिखा, स्थूली (थूली), कर्पूरनाड़ी (लौंगपुरी), खंड मंडल (खुरमा), सुफलाढय़ा (सौंफ युक्त), दधिरूप (बिलसारू), मोदक (लड्डू), शाक (साग), सौधान (अधानौ अचार), मंडका (मोठ), पायस (खीर)
दधि (दही), गोघृत (गाय का घी), हैयंगपीनम (मक्खन), मंडूरी (मलाई), कूपिका (रबड़ी), पर्पट (पापड़), शक्तिका (सीरा), लसिका (लस्सी), सुवत, संघाय (मोहन), सुफला (सुपारी), सिता (इलायची), फल, तांबूल, मोहन भोग, लवण, कषाय, मधुर, तिक्त, कटु, अम्ल, इनमें से अधिकांश श्रीकृष्ण के प्रिय व्यंजन हैं। 

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