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PM मोदी की फोटो और CM योगी के नाम की धौंस, UP के मौलाना की महाराष्ट्र में दस्तक... नागपुर हिंसा से 6 माह पहले ही बिंदास बोल में सुरेश चव्हाणके जी ने बजाई थी खतरे की घंटी; UP पुलिस को भी देना होगा जवाब

UP के पीर की संदिग्ध गतिविधियों पर आँखें मूँद कर बैठ गई थी नागपुर पुलिस

Rahul Panday
  • Mar 22 2025 5:38PM

महाराष्ट्र के नागपुर में 17 मार्च 2025 को हिंसा भड़क गई। यहाँ उन्मादी नारेबाजी करती मुस्लिम भीड़ ने पुरुष पुलिसकर्मियों की हत्या व महिला स्टाफ के साथ अश्लीलता का प्रयास किया। पत्थरबाजी और आगजनी में कई हिन्दुओं के घरों के निशाना बनाया गया। इस मामले में नागपुर प्रशासन का इंटेलिजेंस फेलियर भी सामने आया था। नागपुर में नए चरमपंथी हमले से ठीक 6 माह पहले सुदर्शन न्यूज़ ने बाकायदा एक शो कर के शहर में बढ़ रही संदिग्ध इस्लामी मूवमेंट को बेनकाब किया था। हमने नागपुर पुलिस को व्यक्तिगत इस मामले में निगरानी की अपील की थी। हालाँकि तब पुलिस ने उस पर कोई ध्यान नहीं दिया था और आखिरकार वहाँ के पूरे समाज को हिंसक दंगों की तपिश झेलनी पड़ी। 

UP के संदिग्ध मौलानाओं का ठिकाना बना नागपुर 

हम बात कर रहे हैं 16 सितंबर 2024 में LIVE हुए 'Modi नाम का दुरुपयोग करने वाले मौलाना का पर्दाफाश' नाम के शीर्षक वाले बिंदास बोल की। तब हमने बताया था कि कैसे उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले में एक संदिग्ध मौलाना का नेटवर्क नागपुर में खड़ा हो रहा है। तब सुदर्शन न्यूज़ के प्रधान सम्पादक सुरेश चव्हाणके जी ने सबूतों के साथ दिखाया था कि कैसे छांगुर नाम का एक पीर अपने साथी ईदुल इस्लाम के साथ मिल कर नागपुर के ऑरेंज सिटी इलाके में एक फर्जी ऑफिस चला रहा है। 

छांगुर पीर की कथित ऑडियो रिकार्डिंग भी सुदर्शन न्यूज के पास मौजूद है। इस ऑडियो में वह खुल कर देश भर में फैले अपने हजारों मुरीदों का जिक्र कर रहा है। वह यह भी दावा करता सुना जा सकता है कि वो अपने मुरीदों से जो चाहे वो करवा सकता है। ऐसे में सवाल ये भी बनता है कि कहीं नागपुर हिंसा में वहीं की धरती से गड़बड़झाला करते उस पीर का कोई मुरीद तो शामिल नहीं था ? 

होता रहा PM मोदी की फोटो का दुरूपयोग 

सुदर्शन न्यूज़ ने अपने शो में मौलाना छांगुर पीर और ईदुल इस्लाम द्वारा दुरूपयोग किए जा रहे तमाम लेटर हेड और विजिटिंग कार्ड भी दिखाए थे। इन लेटर हेड और विजिटिंग कार्ड पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर छपी है। इनके द्वारा बनाए गए कथित संगठन का नाम 'भारत प्रतीकार्थ सेवा संघ' है। सुदर्शन न्यूज़ की संवाददाता स्नेहल ने ग्राउंड जीरो से जा कर उस स्थान की पड़ताल की तो वहाँ कुछ भी नहीं मिला। स्थानीय लोगों ने भी बताया कि उस स्थान पर 'भारत प्रतीकार्थ सेवा संघ' नाम उन्होंने पहले कभी नहीं सुना। 

जब स्नेहल ने PM मोदी के फोटो लगे लेटर हेड पर मौजूद मोबाइल नंबर पर कॉल किया तो उसे ईदुल इस्लाम नाम के व्यक्ति ने उठाया। ईदुल इस्लाम भी छांगुर के नेटवर्क का एक सदस्य माना जाता है जिसका ठिकाना नागपुर ही है। ईदुल इस्लाम ने स्नेहल के किसी भी सवाल का जवाब देने से मना कर दिया और फोन काट दिया। ऐसे में सवाल यह बनता है कि नागपुर में ऐसा कौन सा काम था जो छांगुर और ईदुल इस्लाम मिल कर और छिप कर अंजाम दे रहे थे ?

UP CM योगी आदित्यनाथ के नाम पर भी धौंसबाजी 

अपने इसी शो में सुरेश चव्हाणके जी ने छांगुर पीर गिरोह की एक ऑडियो सुनवाई थी। इस ऑडियो में छांगुर का साथी और नागपुर का नेटवर्क संभालने वाला ईदुल इस्लाम किसी को फोन पर हड़का रहा है। वह खुद को योगी आदित्यनाथ से डायरेक्ट कनेक्टेड बताते हुए सामने वाले को दबाव में लेने का प्रयास करता सुना जा सकता है। इस ऑडियो के वायरल होने के बावजूद महाराष्ट्र के नागपुर पुलिस की तरह उत्तर प्रदेश की बलरामपुर पुलिस ने भी उदासीनता दिखाई थी। प्रधानमंत्री से ले कर मुख्यमंत्री तक के नामों और तस्वीरों का दुरूपयोग करने के बावजूद अब तक दोनों ही प्रदेशों में इस कथित पीर पर कोई एक्शन नहीं लिया गया है। 

महाराष्ट्र में पीर गिरोह की कई सम्पत्तियाँ 

सुदर्शन न्यूज़ की पड़ताल में यह भी सामने आया था कि छांगुर पीर गिरोह उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में कई जमीनी खरीद-फरोख्त में शामिल है। उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में इस गिरोह पर सरकारी जमीन कब्ज़ाने, लोगों पर विभिन्न जिलों में फर्जी मुकदमे लादने, विदेशों से संदिग्ध लेन-देन करने, धर्मान्तरण में शामिल होने और दलित उत्पीड़न जैसे कई गंभीर आरोप लगे हैं। पीर के ही एक मुरीद एमन रिज़वी का खुलेआम दावा है कि बड़े-बड़े अधिकारी छांगुर के पैर छूते हैं। ऐसे में तमाम सबूतों के बावजूद करवाई न होने के पीछे आम जनमानस में उत्तर प्रदेश पुलिस को ले कर अलग-अलग तरह की चर्चाएँ हैं। 

वहीं महाराष्ट्र में भी पीर की सम्पत्तियों में तेजी से इजाफा हुआ है। मुंबई के लोनावाला स्थित करोड़ों रुपयों के एक प्रोजेक्ट में तो इसके साथ न्याय विभाग के कुछ लोगों के परिजन भी शामिल पाए गए हैं। पीर की एक महंगी XUV कार भी मुंबई में मिरा रोड के पते पर दर्ज है। दावा यह भी है कि नागपुर में भी पीर से जुड़े कई लोगों ने सम्पत्तियां बनाई हैं। ऐसे में सुदर्शन न्यूज़ द्वारा दिखाए गए शो के बावजूद उस पर नागपुर पुलिस द्वारा आँखें मूँद लेना कहीं न कहीं प्रशासन में भी असमाजिक तत्वों की गहरी घुसपैठ की तरफ इशारा करता है। 

 

मुख्यमंत्री स्तर तक कई ऐसी शिकायतें भी भेजी गईं हैं जिनमें कुछ प्रशासनिक और न्यायिक अधिकारियों की इस गिरोह से सीधी मिलीभगत का आरोप लगा है। नागपुर हिंसा के बाद उम्मीद जताई जा रही है कि जाँच कर रही महाराष्ट्र पुलिस जल्द ही देश को नुकसान पहुँचा रहे जिहादी कुछ प्रशासनिक व न्यायिक गठजोड़ को बेनकाब करेगी। नागपुर के लोगों की भी अब यह जानने में रूचि बढ़ रही है कि उत्तर प्रदेश के कुछ संदिग्धों की अचानक ही महाराष्ट्र में इतनी रूचि क्यों बढ़ गई।  

 

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