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ऊर्जा मंत्री द्वारा भ्रामक आकड़े देकर बिजली कर्मियों पर चोरी का आरोप लगाने से बिजली कर्मचारियों में भारी गुस्सा

उप्र एवं चंडीगढ़ में बिजली के निजीकरण के निर्णय के विरोध में आज पूरे देश में 27 लाख बिजली कर्मचारी सड़कों पर उतरे।

Rajat Mishra
  • Dec 19 2024 8:50PM

इनपुट- रवि शर्मा, लखनऊ

 
उप्र एवं चंडीगढ़ में बिजली के निजीकरण के निर्णय के विरोध में आज पूरे देश में 27 लाख बिजली कर्मचारी सड़कों पर उतरे। बिजली कर्मचारियों ने मांग की कि उप्र में बिजली के निजीकरण का जनविरोधी निर्णय वापस लिया जाये। 
 
देश भर के बिजली कर्मचारियों ने चेतावनी दी है कि यदि उप्र में बिजली के निजीकरण की कोई भी एकतरफा कार्यवाही प्रारम्भ की गयी तो उसी समय बिना और कोई नोटिस दिये देश भर के बिजली कर्मचारी आन्दोलन शुरू करने हेतु बाध्य होंगे जिसकी पूरी जिम्मेदारी उप्र सरकार और उप्र पावर कारपोरेशन प्रबन्धन की होगी। देश के बिजली कर्मचारियों के साथ आज उप्र के बिजली कर्मचारियों ने काकोरी क्रांति के अमर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित कर ‘‘शहीदों के सपनों का भारत बनाओ - बिजली का निजीकरण हटाओ’’ नारे के साथ समस्त जनपदों एवं परियोजना मुख्यालयों पर सभायें की और निजीकरण का प्रस्ताव निरस्त करने की मांग की। 
 
राजधानी लखनऊ सहित मेरठ, गाजियाबाद, आगरा, अलीगढ़, सहारनपुर, बुलन्दशहर, मुरादाबाद, कानपुर, झांसी, बांदा, बरेली, अयोध्या, प्रयागराज, गोरखपुर, वाराणसी, अनपरा, ओबरा, पनकी, हरदुआगंज, पारीछा, जवाहरपुर में बिजली कर्मचारियों ने जोरदार प्रदर्शन किये। 
राजधानी लखनऊ में हाईडिल फील्ड हास्टल में इस अवसर पर एक नाट्य प्रस्तुति की गयी। नाट्य प्रस्तुति के माध्यम से यह संदेश दिया गया कि बिजली आम आदमी की जीवन रेखा है और इसे कारपोरेट घरानों को देने से आम जन का भविष्य चौपट हो जायेगा। राजधानी लखनऊ सहित पूरे प्रदेश में बिजली कर्मचारियों ने काकोरी क्रांति के अमर शहीदों को श्रद्धा-सुमन अर्पित किये।
 
संघर्ष समिति ने कहा कि सीमित संसाधनों के बावजूद ऊर्जा क्षेत्र में उत्तरोत्तर गुणात्मक सुधार बिजली कर्मचारियों ने ही किया है जिसका श्रेय ऊर्जा मंत्री खुद ले रहे हैं और बिजली कर्मियों पर गैर जिम्मेदाराना आरोप लगा रहे हैं। संघर्ष समिति ने ऊर्जा मंत्री द्वारा स्वीकार की गयी कथित विफलता के लिए पावर कारपोरेशन प्रबन्धन और ऊर्जा मंत्री को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि यदि वे बिजली व्यवस्था नहीं संभाल पा रहे हैं तो उन्हें पद छोड़ देना चाहिए, बिजली कर्मी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कुशल नेतृत्व में प्रदेश को बेहतर बिजली देने के लिए सक्षम हैं और कृतसंकल्प है। उप्र के ऊर्जा क्षेत्र में जब कोई बाहरी दखल नहीं था और प्रबन्धन अभियन्ताओं के हाथ था तब मात्र 77 करोड़ का घाटा था। खुद ऊर्जा मंत्री द्वारा बयान किये गये घाटे की सबसे अधिक जिम्मेदारी आईएएस प्रबन्धन की है जिसे बर्खास्त किया जाना चाहिए। विगत 22 वर्षों में प्रबन्धन के शीर्ष पद पर रहे आईएएस अधिकारियों के कार्यकाल के घाटे का श्वेतपत्र जारी किया जाये।
 
संघर्ष समिति ने ऊर्जा मंत्री के इस वक्तव्य कि सभी श्रम संघों ने पीपीपी मॉडल के निजीकरण का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया है को सरासर झूठ बताते हुए कहा कि ऊर्जा निगमों के एक भी श्रम संघ ने निजीकरण का पीपीपी मॉडल स्वीकार नहीं किया है। इसके विपरीत सभी श्रम संघ निजीकरण के विरोध में लगातार आवाज उठा रहे हैं। संघर्ष समिति ने कहा कि भ्रामक आकड़ों और भय का वातावरण बनाकर श्रम संघों और कर्मचारियों की आवाज को दबाया नहीं जा सकता। संघर्ष समिति ने कहा कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये बिजली कर्मचारियों और अभियन्ताओं को धमकाने का काम पावर कारपोरेशन के चेयरमैन बन्द करें अन्यथा संघर्ष समिति को इस मामले में विधिक कार्यवाही करने को मजबूर होना पड़ेगा।
 
संघर्ष समिति ने कहा कि ऊर्जा मंत्री ने मुक्त कण्ठ से आगरा में काम कर रही निजी क्षेत्र की टोरेंट कम्पनी की तारीफ की है। हकीकत यह है कि यह प्रयोग पूरी तरह से विफल है और इससे हजारों करोड़ रूपये की चपत आम जनता पर पड़ रही है। ध्यान रहे पावर कारपोरेशन मंहगी दर पर बिजली खरीद कर टोरेंट कम्पनी को सस्ते दाम में देती है जिससे पिछले 14 साल में पावर कारपोरेशन को 2434 करोड़ रूपये की चपत लग चुकी है। वर्ष 2023-24 में पावर कारपोरेशन ने 5.55 रूपये प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीद कर टोरेंट कम्पनी को 4.36 रूपये प्रति यूनिट पर बेचा जिससे 1 साल में ही 275 करोड़ रूपये का घाटा हुआ। सवाल यह है कि यदि ऐसा ही निजीकरण प्रदेश की जनता पर थोपा जा रहा है तो एक साल में ही ऊर्जा क्षेत्र बदहाल हो जायेगा।

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