इनपुट-अंशुमान दुबे, लखनऊ
लखीमपुर जिले में बाढ़ से बचाव को लेकर हुए कामों का औचक निरीक्षण करने आयुक्त लखनऊ मंडल लखनऊ डॉ रोशन जैकब शुक्रवार को खीरी पहुंची, जहां उन्होंने डीएम दुर्गा शक्ति नागपाल, एसपी गणेश प्रसाद साहा संग बाढ़खंड की ओर से निर्मित कटानरोधी परियोजना का स्थलीय निरीक्षण किया।
आयुक्त ने सर्वप्रथम शारदा नदी के दायें किनारे पर ग्राम समूह कान्तीनगर, गोड़वा व पकरिया के समीप कटाव निरोधक कार्य की परियोजना देखी। अफसरों से सर्वप्रथम नक़्शे से पूरी परियोजना समझी। इसके बाद उन्होंने पूरी परियोजना का पैदल भ्रमण कर परियोजना के तहत कराए कार्य, उसकी गुणवत्ता देखी। निर्देश दिए कि इसकी नान स्टाप निगरानी की जाए। विभाग स्थानीय ग्रामीणों से संवाद बनाए रखे, कराए जाने वाले कार्यों की जानकारी दें। मौजूद ग्रामीणों से फीडबैक लिया। निरीक्षण के दौरान परियोजना पूर्ण रूप से सुरक्षित मिली।
आयुक्त को अधिशासी अभियंता (बाढ़ खंड) अजय कुमार ने बताया कि यह परियोजना लागत रू. 542.68 लाख रुपये की लागत की है। इसका लाभ 03 गांवों के 7300 आबादी को होगा। इस परियोजना के तहत क्रांन्तीनगर के पास 930 मीटर लंबाई में टो-वाल व स्लोप पिचिंग एवं गोड़वा पकरिया के पास 480 मीटर लंबाई लांचिंग एप्रन व स्लोप पिचिंग के साथ-साथ स्लोप पिचिंग के ऊपर मिट्टी डालने का कार्य हुआ।
इस दौरान आयुक्त डॉ रोशन जैकब ने मौजूद ग्रामवासियों से जाना कि परियोजना बनने से फायदा हुआ। इस पर ग्रामीण बोले, बिल्कुल हुआ साहब या नाए बनी होत तो बहुत नुकसान होत हम सबका। उन्होंने पैदल ही परियोजना के समीप बसे परिवारों से संवाद कर उनका दुख दर्द जाना और मदद का भरोसा दिया। आप यहां से अन्यत्र उपलब्ध सरकारी जमीन पर जाने को राजी हो तो प्रशासन व्यवस्था कराए। निर्देश दिए कि एसडीएम ऐसे सभी प्रभावित परिवारों को सूचीबद्ध कर उनकी सहमति लेकर उनके जीवन को सुगम बनाने हेतु जरूरी कार्यवाही करें।
आयुक्त ने निर्देश दिए कि सभी प्रभावित गांवों में एकरूपता से भोजन और राहत सामग्री वितरण में तेजी लेकर वितरण सुनिश्चित कराए। करदहिया मानपुर में प्रधान, प्रभावित परिवारों से संवाद किया। ग्रामीणों ने लेखपाल पंकज वर्मा के बाढ़ क्षेत्र में कार्यों की सराहना की। कमिश्नर ने कटान की जद में आने वाले प्रभावित परिवारों से "बाढ़ राहत केंद्र गजोधर प्रसाद इंटर कॉलेज" अथवा अपनी सुविधा अनुसार बंधे पर में शिफ्ट होने का अनुरोध किया। एसडीएम सदर को निर्देश दिए की बाढ़ विस्थापितों के लिए जमीन खोजें। सर्वे करते हुए उन्हें पट्टा एवं आवास प्रदान किए जाने का प्रस्ताव/प्रोजेक्ट बनाकर उन्हें भिजवाएं, ताकि उच्च स्तर पर स्वीकृति दिलाकर उसे जमीनी स्तर पर साकार किया जा सके।