आज श्रावण मास के प्रथम सोमवार को भगवान शिव के प्रसिद्ध धाम केदारनाथ में सावन के पहले सोमवार पर भक्तों की भारी भीड़ है। रात के अंधेरे से ही भक्त बाबा केदार के जलाभिषेक के लिए ठंड और बारिश में दर्शनों के लिए लाइन में लगे हुए हैं। इसी के साथ केदारनाथ धाम में बम बम भोले के जयकारे गुंजायमान हो रहे है। शिव भक्तों को न तो बारिश की चिंता है और न ही ठंड उन्हें उनकी आस्था से डिगा पा रही है। धाम में लगातार बारिश हो रही है, बारिश के कारण ठंड भी है। बावजूद इसके भक्त दर्शनों के लिए लाइन में लगे हुए है।
सावन मास में भगवान शिव को जल चढ़ाने और ब्रह्म कमल का फूल अर्पित करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। अब तक बाबा केदार के दरबार में 10 लाख 64 हजार भक्त दर्शन कर चुके है। भक्तों के द्वारा बाबा केदार का जलाभिषेक करने के साथ ही ब्रह्म कमल के पुष्प अर्पित किए जा रहे है। मान्यताओं के अनुसार, सावन का महीना भगवान शिव का अति प्रिय महीना माना जाता है। इस महीने में भक्त, भगवान शिव का जलाभिषेक एवं दुग्धाभिषेक करते हैं।वहीं इस अवसर पर भोले बाबा के भक्त केदारनाथ यात्रा के अनुभव को भी साझा कर रहे हैं। भक्तों का कहना है कि वह आसानी से पैदल यात्रा करके केदारनाथ पहुंचे हैं। उन्हें बाबा केदार का जलाभिषेक करके बहुत खुशी हुई है। इस के अतिरिक्त भक्तों ने सरकार एवं जिला प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराई गई सुविधाओं एवं व्यवस्था की भी सराहना की है।
केदारनाथ धाम के पीछे की कहानी
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार हिमालय में बसे केदारनाथ धाम में सतयुग के दौरान भगवान नर-नारायण ने केदारनाथ भगवान की तपस्या की थी। भगवान केदारनाथ ने नर-नारायण को यहां दर्शन दिए। बाद में जब पांडव गोत्र हत्या की मुक्ति के लिए केदारनाथ में आये तो उन्होंने भी यहां भगवान शिव की तपस्या की। भगवान शिव ने यहां पर पांडवों को भैंसे के रूप में दर्शन दिए थे। यही कारण है केदारनाथ धाम में भगवान शिव का त्रिकोणीय आकार वाला लिंग यानी चिन्ह है।