हवलदार नरेश कुमार, 10 महार, ने 8 फरवरी, 2025 को सड़क दुर्घटना में घायल हुए अपने 18 वर्षीय ब्रेन-डेड बेटे के अंग दान करने का निस्वार्थ निर्णय लिया। यह कदम मानवता की मिसाल बनकर सामने आया, जिससे 6 से अधिक गंभीर रूप से बीमार रोगियों की जान बचाई जा सकी।
टीम वेस्टर्न हीलर्स का अभूतपूर्व योगदान
सेना की वेस्टर्न हीलर्स टीम और सेना प्रत्यारोपण टीम ने हवलदार नरेश कुमार के बेटे से लीवर, किडनी, अग्न्याशय और कॉर्निया सफलतापूर्वक निकाले। इन अंगों को विभिन्न चिकित्सा संस्थानों में भेजा गया, जहां इनका उपयोग पुरानी बीमारियों से पीड़ित रोगियों के उपचार में किया गया।
पश्चिमी कमान अस्पताल की महत्वपूर्ण भूमिका
पश्चिमी कमान अस्पताल चंडीमंदिर (CHWC) ने अंगदान प्रक्रिया में प्रमुख भूमिका निभाई। मिलिट्री पुलिस और भारतीय वायु सेना के सहयोग से लीवर और किडनी को ग्रीन कॉरिडोर के जरिए आर्मी हॉस्पिटल रिसर्च एंड रेफरल (नई दिल्ली) भेजा गया।
अग्न्याशय और कॉर्निया का वितरण
अग्न्याशय और किडनी को पीजीआई में एक मरीज को दान किया गया, जो टाइप I डायबिटीज और क्रॉनिक किडनी डिजीज (CKD) से पीड़ित था। वहीं, कॉर्निया को कमांड अस्पताल के आई बैंक में संरक्षित किया गया, ताकि जरूरतमंद मरीजों को दृष्टि प्राप्त हो सके।
सर्वश्रेष्ठ अंग पुनर्प्राप्ति केंद्र का सम्मान
यह महत्वपूर्ण सफलता कमांड अस्पताल के अनुकरणीय कार्य का प्रमाण है। हाल ही में भारत सरकार द्वारा कमांड अस्पताल को सर्वश्रेष्ठ अंग पुनर्प्राप्ति केंद्र का सम्मान प्राप्त हुआ है।
हवलदार नरेश कुमार का मानवता के प्रति योगदान
हवलदार नरेश कुमार का यह कदम न केवल उनके बेटे की श्रद्धांजलि है, बल्कि मानवता के प्रति उनके त्याग और समर्पण का शानदार उदाहरण भी है। उनके इस दान ने यह सुनिश्चित किया है कि उनके बेटे की धरोहर जीवित रहे और अन्य लोगों के जीवन को बेहतर बनाए।