भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी (ISRO) के प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा कि अंतरिक्ष क्षेत्र में तकनीकी परिवर्तन तेजी से हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि 1960 के दशक में अंतरिक्ष में कुछ भी नहीं था। लेकिन आज अंतरिक्ष में लाखों वस्तुएं मौजूद है। नई दिल्ली में चाणक्य डिफेंस डायलॉग 2024 में उन्होंने 'अंतरिक्ष परिस्थिति जागरूकता' के महत्व पर जोर दिया।
भारत में है रॉकेट निर्माण की क्षमता
एस सोमनाथ ने बताया कि भारत में रॉकेट के 95% घटक निर्मित होते हैं, जबकि केवल 5% आयातित होते हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अंतरिक्ष यान के लिए 60% घटक देश में निर्मित होते हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि भारत अपनी मौजूदा क्षमताओं के साथ पूरी तरह से रॉकेट का निर्माण कर सकता है।
एस सोमनाथ ने क्या कहा?
डॉ. एस सोमनाथ ने कहा कि अंतरिक्ष परिस्थिति जागरूकता का मुद्दा, यह जानना है कि वहां क्या हो रहा है, हम सभी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। हमें यह समझने की जरुरत है कि हम किस प्रकार के अंतरिक्ष यान लॉन्च कर रहे हैं। 1960 के दशक में, अंतरिक्ष में कुछ भी नहीं था। लेकिन आज अंतरिक्ष में लाखों वस्तुएं हैं। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि हमने संचार उद्देश्यों, पृथ्वी अवलोकन, नेविगेशन, अंतरिक्ष विज्ञान और कई अन्य गतिविधियों के लिए अंतरिक्ष में कई अंतरिक्ष यान लॉन्च किए हैं। अंतरिक्ष का क्षेत्र बदल रहा है और तकनीक लगातार विकसित हो रही है। समय के साथ रिज़ॉल्यूशन और स्पेक्ट्रल गुणवत्ता में सुधार हो रहा है। बड़े, छोटे और मध्यम आकार के उपग्रह विभिन्न आकार और रूपों में लॉन्च किए जा रहे हैं।