सुदर्शन के राष्ट्रवादी पत्रकारिता को सहयोग करे

Donation

Sharad Purnima 2024: शरद पूर्णिमा पर खीर बनाने का क्या है महत्व, जानें पूर्णिमा पूजन का शुभ मुहूर्त, तिथि यहां

शरद पूर्णिमा साल की सबसे महत्वपूर्ण पूर्णिमा मानी जाती है। इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व होता है। ऐसे में आइए जानते है कि, इस साल शरद पूर्णिमा कब है और इस दिन चंद्रमा को अर्घ्य देने से क्या लाभ होता है।

Rashmi Singh
  • Oct 15 2024 11:03AM

सनातन धर्म में शरद पूर्णिमा को बहुत ही खास त्योहार माना जाता है। शरद पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी जी की विशेष पूजा की जाती है। इसके अलावा भगवान विष्णु की पूजा करने से जीवन में धन की कमी दूर हो जाती है। 

इस साल शरद पूर्णिमा 16 अक्टूबर 2024 को मनाई जाएगी। हर साल आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा कहा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन आसमान से अमृत की बूंदें बरसती हैं। शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा पृथ्वी के सबसे करीब होता है। अंतरिक्ष में सभी ग्रहों से निकलने वाली सकारात्मक ऊर्जा चंद्रमा की किरणों के माध्यम से पृथ्वी पर गिरती है।

शरद पूर्णिमा की तिथि और शुभ मुहूर्त 

- शरद पूर्णिमा या कोजागरी पूर्णिमा 16 अक्टूबर 2024 

- पूर्णिमा तिथि आरंभ- 16 अक्टूबर 2024 को रात 8:45 मिनट से

- पूर्णिमा तिथि समाप्त- 17 अक्टूबर 2024 को शाम 4:50 मिनट

क्यों रखते हैं इस दिन खुले आसमान के नीचे खीर  

खीर बनाकर शरद पूर्णिमा की चांदनी में खुले आसमान के नीचे रखने के पीछे वैज्ञानिक तर्क यह है कि चंद्रमा की किरणों में औषधीय गुण होने के कारण खीर भी अमृत के समान हो जाएगी। इसका सेवन सेहत के लिए फायदेमंद होगा। 

शरद पूर्णिमा पर चंद्रोदय समय 

इस साल शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा शाम 5:10 बजे उदय होगा, जो लोग व्रत रखना चाहते हैं वे 16 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा का व्रत रख सकते हैं और शाम को चंद्रमा की पूजा कर सकते हैं।

शरद पूर्णिमा पूजा विधि  

1. इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर किसी पवित्र नदी में स्नान करें। अगर आप नदी में स्नान नहीं कर सकते हैं तो घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। 

2. अब एक लकड़ी के पाटे या चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और उसे गंगा जल से पवित्र कर लें। चौकी पर मां लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें और लाल चुनरी पहनाएं।

3. इसके बाद लाल फूल, इत्र, नैवेद्य, धूपबत्ती, सुपारी आदि से देवी लक्ष्मी की विधिवत पूजा करें। इसके बाद मां लक्ष्मी के सामने लक्ष्मी चालीसा का पाठ करें।

4. पूजा समाप्त होने के बाद आरती करें। शाम के समय पुनः देवी मां और भगवान विष्णु की पूजा करें और चंद्रमा को अर्घ्य दें।

5. चावल और गाय के दूध की खीर बनाकर चंद्रमा की रोशनी में रखें। आधी रात के समय देवी लक्ष्मी को खीर का भोग लगाएं और प्रसाद के रूप में परिवार के सभी सदस्यों को खिलाएं। 

शरद पूर्णिमा महत्व 

 1. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शरद पूर्णिमा के दिन ही समुद्र मंथन से देवी लक्ष्मी का जन्म हुआ था। इसलिए यह तिथि शुभ भी मानी जाती है।

2. ऐसा माना जाता है कि इस दिन देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर विचरण करती हैं और जो लोग रात में जागकर देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं, वह उन पर अपनी कृपा बरसाती हैं और उन्हें धन-संपत्ति और समृद्धि प्रदान करती हैं। 

3. इस दिन चंद्रमा अपनी पूर्ण कला में होता है और चारों चंद्रमाओं की रोशनी पृथ्वी पर फैली होती है। ऐसा लगता है मानों धरती दूधिया रोशनी से नहा उठी हो। 

सहयोग करें

हम देशहित के मुद्दों को आप लोगों के सामने मजबूती से रखते हैं। जिसके कारण विरोधी और देश द्रोही ताकत हमें और हमारे संस्थान को आर्थिक हानी पहुँचाने में लगे रहते हैं। देश विरोधी ताकतों से लड़ने के लिए हमारे हाथ को मजबूत करें। ज्यादा से ज्यादा आर्थिक सहयोग करें।
Pay

ताज़ा खबरों की अपडेट अपने मोबाइल पर पाने के लिए डाउनलोड करे सुदर्शन न्यूज़ का मोबाइल एप्प

Comments

संबंधि‍त ख़बरें

ताजा समाचार