बेंगलुरु में कन्नड़ भाषा न बोलने पर भारतीय वायु सेना के विंग कमांडर और उनकी पत्नी पर कट्टरपथंयों ने हमला कर दिया। विंग कमांडर के मुताबिक, उनकी पत्नी उन्हें डीआरडीओ कॉलोनी (सीवी रमन नगर) से हवाई अड्डे तक छोड़ने के लिए ले जा रही थीं, तभी रास्ते में एक बाइक सवार ने उनकी कार को रोका। वह शख्स कन्नड़ भाषा में गालियां देने लगा और जब उसने गाड़ी पर डीआरडीओ का स्टीकर देखा तो अधिकारी की पत्नी को भी अपशब्द कहे। यह घटना सोमवार (21 अप्रैल 2025) की है।
घटना के दौरान विंग कमांडर बोस जब गाड़ी से बाहर आए तो आरोपी ने उनकी माथे पर चाबी से हमला किया। उसके बाद पत्थर फेंककर फिर से उनके सिर पर वार किया गया। यह पूरी घटना का वीडियो खुद अधिकारी ने सोशल मीडिया पर साझा किया, जो अब वायरल हो चुका है।
घटना के तुरंत बाद, दोनों अधिकारी नजदीकी पुलिस स्टेशन पहुंचे, लेकिन उनकी शिकायत को लेकर कोई तत्काल प्रतिक्रिया नहीं मिली। विंग कमांडर बोस ने अपनी पोस्ट में निराशा व्यक्त करते हुए लिखा कि अगर कानून उनका साथ नहीं देता तो वे खुद जवाब देंगे। उन्होंने लिखा, यह कर्नाटक की स्थिति है, सच्चाई, वास्तविकता को देखकर…मुझे विश्वास नहीं हो रहा था। भगवान हमारी मदद करें, भगवान मुझे जवाबी कार्रवाई न करने की शक्ति दें। कल, अगर कानून और व्यवस्था हमारी मदद नहीं करती है, तो मैं जवाबी कार्रवाई करूंगा।
लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) कंवल जीत सिंह ढिल्लों ने घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगाया। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या हर राज्य में तैनात होने वाले सुरक्षाबलों को स्थानीय भाषा सीखनी होगी? यह घटना केवल रोड रेज नहीं, बल्कि हमारे सैनिकों के आत्मसम्मान पर हमला है।
पुलिस ने घटना की जांच शुरू कर दी है और आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज देखी जा रही है। अधिकारी की पत्नी से पूछताछ की गई है और आरोपियों की तलाश जारी है। पुलिस ने इसे 'संदिग्ध रोड रेज' की घटना बताया है जिसमें वायुसेना के दो अधिकारी शामिल थे, एक घायल भी हुआ है।
वहीं भारतीय सेना के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल कंवल जीत सिंह ढिल्लों ने बेंगलुरु में एयरफोर्स अधिकारी पर हुए हमले को लेकर नाराजगी जताई है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व ट्विटर) पर अपनी चिंता जाहिर करते हुए सवाल उठाया—“क्या राष्ट्र की रक्षा करने से पहले, हर राज्य की भाषा जानना ज़रूरी है?”
उन्होंने कहा, “बेंगलुरु हमेशा से शांति और भाईचारे का प्रतीक रहा है, लेकिन हालिया घटना ने उसकी छवि को धक्का पहुंचाया है। जो जवान अपने देश की सेवा में विभिन्न राज्यों में तैनात रहते हैं, क्या उन्हें हर स्थान पर स्थानीय भाषा सीखने की शर्त पर काम करना होगा?”