जम्मू-कश्मीर के रामबन ज़िले में हुई भीषण बारिश और क्लाउडबर्स्ट के बाद हालात बिगड़ने लगे, जिस पर तुरंत कार्रवाई करते हुए भारतीय सेना ने राहत और पुनर्स्थापन कार्य शुरू कर दिया। बीते दिन (20 अप्रैल) इस आपदा के चलते नेशनल हाईवे 44 (NH44) पर यातायात बाधित हो गया था, जिसे बहाल करने की कोशिशें जारी हैं।
सेना ने ज़मीनी हालात का जायज़ा लेने के बाद ज़िला उपायुक्त, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक और ट्रैफिक अधीक्षक जैसे वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों के साथ मिलकर तुरंत राहत कार्य शुरू किया। हालांकि अब तक कोई औपचारिक आपातकालीन सहायता की मांग नहीं की गई है, लेकिन प्रशासन ने ज़रूरत पड़ने पर सेना से मदद लेने की बात कही है।
फंसे यात्रियों को सेना का संबल
बनिहाल, कराचिआल, डिगडोल, मैत्रा और चंदरकोट से सेना की क्विक रिएक्शन टीमें (QRT) तुरंत सक्रिय की गईं। इन टीमों ने फंसे हुए यात्रियों को चाय, गर्म भोजन, अस्थायी शरण और प्राथमिक चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराई।
अतिरिक्त बल तैयार, हाईवे की सफाई शुरू
सेना की आठ टुकड़ियाँ (1/1/18 के बल के साथ) विभिन्न अहम स्थानों पर तैनात हैं और आवश्यकतानुसार सहायता के लिए तैयार हैं। हाईवे को साफ करने का कार्य तेजी से चल रहा है, जिसमें केआरसीएल, सीपीपीएल और डीएमआर जैसी निर्माण एजेंसियों की JCB मशीनें और भारी उपकरण लगे हुए हैं।
प्रारंभिक अनुमान के अनुसार, सड़क की सफाई और यातायात व्यवस्था की बहाली में लगभग 48 घंटे लग सकते हैं।
भरोसे के बोल- “कोई दिक्कत नहीं, सेना है ना”
एक फंसे यात्री ने भरोसे के साथ कहा, “कोई दिक्कत नहीं है… सेना है ना… सब कुछ ठीक हो जाएगा।” इस बयान ने लोगों की जुझारू भावना और सेना पर अटूट विश्वास को उजागर किया।
हर संकट में साथ – सेना की प्रतिबद्धता
भारतीय सेना ने एक बार फिर साबित किया है कि संकट की घड़ी में वह जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है, और सुरक्षा, सहयोग व सहायता देने के अपने वादे पर अडिग है।