भारत और चीन के बीच लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तनाव कम करने के लिए एक समझौता हुआ है। दोनों देशों की सेनाएं 28-29 अक्टूबर को देपसांग और डेमचोक क्षेत्र से पीछे हटने की योजना बना रही हैं। यह निर्णय दोनों पक्षों के बीच कई दौर की बातचीत और कूटनीतिक प्रयासों का परिणाम है। गलवां में संघर्ष के बाद से हालात बिगड़े थे।
इस समझौते के तहत, भारतीय सेना ने स्पष्ट किया है कि वह अपनी घेराबंदी को मजबूती देने के लिए कोई भी कदम उठाने से पीछे नहीं हटेगी। देपसांग और डेमचोक, जो कि रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं, वहां से सेना की वापसी का मतलब है कि दोनों पक्षों के बीच बातचीत की प्रक्रिया में एक नया मोड़ आ सकता है। विश्लेषकों का मानना है कि इस कदम से LAC पर स्थिरता बढ़ने की संभावना है, लेकिन दोनों पक्षों के बीच विश्वास की कमी अभी भी एक बड़ी चुनौती है।
भारत ने हमेशा अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति सतर्क रहने की नीति अपनाई है, और चीन की गतिविधियों पर निगाह बनाए रखने का प्रयास किया है। बता दें कि दिसंबर 2020 में शुरू हुए सीमा विवाद के बाद, दोनों देशों के बीच कई बार झड़पें हुई थीं। पिछले कुछ महीनों में, भारत ने अपनी स्थिति को मजबूत करने और रणनीतिक बुनियादी ढांचे में सुधार पर जोर दिया है।
इस बीच, भारतीय रक्षा मंत्रालय ने सभी संबंधित इकाइयों को सतर्क रहने और किसी भी स्थिति के लिए तैयार रहने के निर्देश दिए हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए कि सीमा पर शांति बनी रहे, सभी उपाय किए जा रहे हैं। संक्षेप में, देपसांग और डेमचोक से सेना की वापसी एक सकारात्मक संकेत है, लेकिन वास्तविक स्थिरता और शांति के लिए दोनों देशों को आपसी विश्वास और समझ को मजबूत करने की आवश्यकता है।