गणगौर व्रत हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो खासकर राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों में धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा रखा जाता है और विशेष रूप से विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए यह व्रत करती हैं। वहीं कुंवारी लड़कियां अच्छे वर के लिए इस व्रत को करती हैं। गणगौर व्रत चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि से शुरू होता है और यह व्रत 18 दिनों तक चलता है, जिसमें गणगौर की पूजा की जाती है।
कब है गणगौर व्रत?
हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि का आरंभ 31 मार्च, को सुबह 9 बजकर 11 मिनट पर होगा। वहीं तिथि का समापन 1 अप्रैल को सुबह 5 बजकर 42 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार, इस बार गणगौर व्रत 31 मार्च को रखा जाएगा।
गणगौर व्रत का महत्व
गणगौर व्रत का मुख्य उद्देश्य पारिवारिक सुख-शांति और समृद्धि की प्राप्ति है। महिलाएं इस दिन अपने पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए भगवान गणेश और गौरी माता की पूजा करती हैं। इसके साथ ही वे अपनी शादीशुदा जिंदगी में सुख और समृद्धि की कामना करती हैं। इस दिन विशेष रूप से महिलाएं उबले हुए चने, गुड़, बर्फी और अन्य पकवानों का भोग भगवान गणेश और गौरी माता को अर्पित करती हैं।
शुभ मुहूर्त
गणगौर व्रत के लिए विशेष रूप से तृतीया तिथि का महत्व होता है, और इस साल 2025 में तृतीया तिथि 31 मार्च को होगी। इस दिन महिलाएं व्रत रखकर सुबह जल्दी स्नान करके पूजा-अर्चना करती हैं। व्रत के दौरान महिलाएं विशेष रूप से गणगौर की प्रतिमा को सजाती हैं और उनके साथ पारंपरिक गीत गाती हैं।
इस दिन का विशेष महत्व है क्योंकि यह न केवल महिलाओं के लिए एक धार्मिक अवसर है, बल्कि यह सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण पर्व है। इस दिन पारंपरिक खेल-खिलौने, संगीत और नृत्य के साथ-साथ, महिलाओं की सहभागिता इसे एक रंगीन और उल्लासपूर्ण पर्व बना देती है।