हर माह दो एकादशियां तिथियां होती हैं। दिसंबर माह में भी दो एकादशियां व्रत रखे जाएगे। दिसंबर माह की पहली एकादशी मोक्षदा एकादशी है। पंचांग के अनुसार यह एकादशी मार्गशीर्ष या अगहन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को आती है।
मोक्षदा एकादशी व्रत का न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से बल्कि मानव जीवन के लिए भी बहुत महत्व है। मोक्षदा का अर्थ ही होता है मोक्ष देने वाली। इसलिए यह एकादशी मोक्ष प्रदान करने वाली कही गई है, जो मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को आती है।
इस साल 2024 में मोक्षदा एकादशी का व्रत 11 दिसंबर दिन बुधवार को रखा जाएगा। मोक्षदा एकादशी के दिन व्रत और पूजा करने से कई पाप और भ्रम नष्ट हो जाते हैं। साथ ही नरक में गए पूर्वजों को यातनाओं से मुक्ति मिलती है और स्वर्ग में जगह मिलती है।
मोक्षदा एकादशी व्रत के प्रभाव से वैखानस नामक राजा ने अपने मृत पिता की आत्मा को नरक की यातनाओं से मुक्त कर दिया। ऐसा वर्णन मोक्षदा एकादशी की व्रत कथा में मिलता है। जब राजा वैखानस ने अपने पिता को मुक्त कराया, तो स्वर्ग जाते समय उन्होंने राजा को उनके कल्याण के लिए आशीर्वाद भी दिया।
इन्हीं कारणों से मोक्षदा एकादशी को जन्म-मृत्यु के बंधन से रक्षा करने वाली एकादशी भी कहा जाता है। अत: मार्गशीर्ष में किये जाने वाले इस व्रत से बढ़कर मोक्ष देने वाला कोई अन्य व्रत नहीं है।
मोक्षदा एकादशी के दिन तुलसी मंजरी, पके केले, धूप, दीप, नैवेद्य आदि से भगवान विष्णु की पूजा करें। पूरे दिन उपवास रखें। आप फल भी खा सकते हैं।अगले दिन यानी 12 दिसंबर 2024 को व्रत खोलें।
मोक्षदा एकादशी का महत्व इसलिए और भी बढ़ जाता है क्योंकि इसी दिन गीता जयंती भी मनाई जाती है। मोक्षदा एकादशी पर भगवान विष्णु के साथ-साथ श्रीकृष्ण की भी पूजा करें और इस दिन गीता का पाठ करें।