हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है, और मोक्षदा एकादशी को विशेष रूप से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन विशेष रूप से व्रत रखने और पूजा करने से भक्तों को भगवान की कृपा प्राप्त होती है, और पापों से मुक्ति मिलती है। नारद पुराण के अनुसार, भगवान विष्णु इस व्रत को बहुत प्रिय मानते हैं, और इसे विधिपूर्वक करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
मोक्षदा एकादशी की तिथि और समय
हिंदू पंचांग के अनुसार, मोक्षदा एकादशी इस वर्ष 11 दिसंबर 2024 को सुबह 3:42 बजे से प्रारंभ होगी, और 12 दिसंबर 2024 को रात 1:09 बजे तक रहेगी। मोक्षदा एकादशी का पारण 12 दिसंबर को सुबह 7:07 बजे से लेकर 9:09 बजे तक किया जा सकेगा। इस अवधि में व्रत का संकल्प लेने और पूजा-अर्चना करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है, और भक्त की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।
व्रत विधि और पूजा के नियम
मोक्षदा एकादशी पर विधिपूर्वक व्रत करने के लिए सबसे पहले संकल्प करना चाहिए। दिन भर उपवास रखें और शाम के समय एकादशी व्रत कथा का श्रवण या पाठ करें। इसके बाद रात में विशेष रूप से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करें। व्रत का पूरा लाभ प्राप्त करने के लिए पूजा में ध्यान और श्रद्धा आवश्यक है। मोक्षदा एकादशी के दिन व्रत करने से सभी प्रकार के पाप समाप्त हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
मोक्षदा एकादशी की पौराणिक कथा
मोक्षदा एकादशी की पौराणिक कथा चंपा नगरी के राजा वैखानस से जुड़ी हुई है। राजा वैखानस एक विद्वान और धर्मप्रिय शासक थे। एक रात उन्हें सपना आया कि उनके पिता नरक में दुख भोग रहे हैं। यह सपना देखकर राजा बहुत चिंतित हुए और अपनी पत्नी से इसके बारे में चर्चा की। पत्नी ने उन्हें सलाह दी कि वह किसी महात्मा से मार्गदर्शन प्राप्त करें।
राजा ने बाद में तपस्वियों के आश्रम में जाकर पर्वत मुनि से मिलकर अपनी समस्या साझा की। राजा ने कहा कि उन्हें इस सपने के बाद बहुत अशांति महसूस हो रही है और वह चाहते हैं कि उनके पिता को नरक के कष्टों से मुक्ति मिले।
पर्वत मुनि ने राजा को बताया कि उनके पिता ने अपने जीवन में कई पाप किए थे, जिसके कारण उन्हें नरक में कष्ट हो रहा था। मुनि ने राजा को सुझाव दिया कि वह मोक्षदा एकादशी का व्रत करें और इसे अपने पिता की मुक्ति के लिए समर्पित करें। राजा ने वही किया और इसके परिणामस्वरूप उनके पिता के सभी पाप समाप्त हो गए और वे स्वर्ग में पहुंच गए।
व्रत का महत्व और फल
पौराणिक कथा के अनुसार, मोक्षदा एकादशी का व्रत हर प्रकार के पापों को नष्ट कर देता है और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही यह व्रत सभी इच्छाओं की पूर्ति करने वाला और चिंताओं को समाप्त करने वाला माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, इस व्रत के परिणामस्वरूप व्यक्ति को वाजपेय यज्ञ का फल प्राप्त होता है, जो अत्यंत शुभ और पुण्यकारी होता है।
मोक्षदा एकादशी का व्रत धार्मिक दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा और व्रत से न केवल पापों से मुक्ति मिलती है, बल्कि आत्मा को शांति और मोक्ष की प्राप्ति भी होती है। इस दिन के व्रत से व्यक्ति को जीवन में सुख, समृद्धि और दिव्य आशीर्वाद प्राप्त होते हैं।