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"भारत-चीन के बीच LAC पर मतभेद सुलझाने का संकल्प", चाणक्य रक्षा संवाद में बोलें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

रक्षा संवाद के उद्घाटन भाषण के दौरान राजनाथ सिंह का सुरक्षा और विकास पर जोर।

Ravi Rohan
  • Oct 24 2024 8:43PM

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज यानी गुरुवार को चाणक्य रक्षा संवाद में अपने मुख्य भाषण में कहा कि भारत और चीन के बीच LAC (लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल) के कुछ क्षेत्रों में मतभेद सुलझाने के लिए जो व्यापक सहमति बनी है, वह इस बात का प्रमाण है कि निरंतर संवाद से समाधान निकलता है।

उन्होंने कहा कि दोनों देशों ने कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर वार्ताएं की हैं और समान तथा पारस्परिक सुरक्षा के सिद्धांतों के आधार पर ग्राउंड स्थिति बहाल करने के लिए सहमति बनी है।

रक्षा मंत्री ने ‘भारत का विकास और सुरक्षा के लिए दृष्टिकोण’ विषय पर अपने विचार साझा करते हुए कहा कि ‘विकास’ और ‘सुरक्षा’ अक्सर अलग-अलग दृष्टिकोणों से देखे जाते हैं, लेकिन वास्तव में ये एक-दूसरे से गहराई से जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा, “ऐतिहासिक रूप से, आर्थिक विकास के लिए प्रमुख कारकों जैसे भूमि, श्रम, पूंजी और उद्यमिता का अध्ययन केंद्रीय रहा है, लेकिन रक्षा और सुरक्षा के प्रभाव का अन्वेषण अपेक्षाकृत कम किया गया है।"

राजनाथ सिंह ने यह भी बताया कि किसी भी राष्ट्र के बजट का एक महत्वपूर्ण हिस्सा सुरक्षा के लिए समर्पित होता है, और यह क्षेत्र रोजगार सृजन, तकनीकी उन्नति और अवसंरचना विकास के माध्यम से आर्थिक योगदान देता है। उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार की निष्ठा को दोहराया कि विकास और सुरक्षा के बीच की खाई को पाटना आवश्यक है, यह कहते हुए कि राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित किए बिना आर्थिक विकास नहीं हो सकता।

सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का उल्लेख करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास की दृष्टि सुरक्षा ढांचे को मजबूत करने और उन क्षेत्रों की सामाजिक-आर्थिक प्रगति सुनिश्चित करने पर आधारित है। इससे आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा मिलता है।

रक्षा मंत्री ने यह भी बताया कि स्वदेशी निर्माण न केवल सुरक्षा ढांचे को मजबूत करता है, बल्कि रोजगार के अवसर पैदा करता है और तकनीकी नवाचार व आत्मनिर्भरता की दिशा में विशेषज्ञता को आगे बढ़ाता है। घरेलू उत्पादन आय सृजन को बढ़ावा देता है और आपूर्ति श्रृंखलाओं के माध्यम से आर्थिक गतिविधियों को उत्तेजित करता है।

उन्होंने यह कहा कि सरकार के निरंतर प्रयासों ने ‘आत्मनिर्भरता’ को रक्षा क्षेत्र के साथ जोड़ा है। “यदि अतीत में रक्षा को विकास का एक अभिन्न हिस्सा माना गया होता, तो हम इस क्षेत्र में आत्मनिर्भरता पहले ही प्राप्त कर लेते। आयात पर निर्भरता का एक कारण रक्षा और विकास के बीच समन्वय की कमी है। इस असंतुलन को दूर करना आवश्यक है ताकि एक मजबूत घरेलू रक्षा उद्योग तैयार किया जा सके जो राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक स्वतंत्रता में योगदान कर सके।”

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