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10 सालों में 20 बार मिलें PM मोदी और शी जिनपिंग, जानिए कब-कब क्या हुआ

आज 21वीं बार मिलेंगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शी जिनपिंग।

Ravi Rohan
  • Oct 23 2024 2:33PM

रूस के कजान में ब्रिक्स समिट का आज दूसरा दिन है। इस अवसर पर, भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शाम को चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ एक महत्वपूर्ण द्विपक्षीय बैठक होने वाली है। यह मुलाकात पांच वर्षों में पहली बार हो रही है, खासकर तब जब दोनों देशों के विदेश मंत्रालयों ने गलवान मुद्दे पर एक सामान्य सहमति की पुष्टि की है। 

2020 में पूर्वी लद्दाख में चीनी सैनिकों की घुसपैठ के बाद से वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तनाव बढ़ गया था। पीएम मोदी अब तक चीन का दौरा नौ बार कर चुके हैं—चार बार गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में और पांच बार प्रधानमंत्री के तौर पर। पिछले एक दशक में, मोदी और जिनपिंग के बीच कुल 20 मुलाकातें हुई हैं, जिसमें व्यक्तिगत बैठकें और अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में अनौपचारिक बातचीत शामिल हैं। आज दोनों नेताओं की यह 21वीं बैठक होगी।

भारत-चीन संबंधों में चार साल का तनाव

पिछले चार वर्षों में भारत-चीन संबंधों में लगातार तनाव देखने को मिला। मोदी और जिनपिंग के बीच संवाद की कमी और एक-दूसरे को बधाई देने से परहेज किया गया। अब, दोनों देश एक बार फिर संबंधों में सुधार की कोशिश कर रहे हैं। यह जानना दिलचस्प होगा कि मोदी और जिनपिंग की पहली मुलाकात कब और कहाँ हुई थी...

मोदी-जिनपिंग की तीसरी मुलाकात का महत्व 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (74 वर्ष) 2014 से भारत का नेतृत्व कर रहे हैं, जबकि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग (71 वर्ष) 2013 से अपनी भूमिका में हैं। दोनों नेता अपने-अपने देशों में एक लंबा समय बिता चुके हैं। यह तीसरी बार है, जब वे चार साल पहले पूर्वी लद्दाख में LAC पर विवाद के बाद मिल रहे हैं।

पिछली मुलाकातें 

आखिरी बार, 2023 में दक्षिण अफ्रीका में ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान दोनों नेताओं ने एक-दूसरे से हाथ मिलाया था, लेकिन कोई औपचारिक बैठक नहीं हुई थी। इससे पहले, 2022 में इंडोनेशिया के बाली में G-20 बैठक में भी यही स्थिति थी; हालांकि, बाद में यह स्वीकार किया गया कि कुछ मुद्दों पर चर्चा हुई थी, जिसमें सीमा विवाद भी शामिल था। इस बार BRICS समिट के दौरान यह उम्मीद की जा रही है कि इस महत्वपूर्ण विषय पर वार्ता होगी।

मुलाकातों का इतिहास 

एलAC विवाद शुरू होने से पहले, 2020 तक मोदी और जिनपिंग के बीच 18 बार मुलाकातें हो चुकी थीं। यह पहली मुलाकात जुलाई 2014 में ब्राजील में ब्रिक्स समिट के दौरान हुई थी, एक ऐसे समय में जब भारत और चीन के बीच सीमाओं पर तनाव बढ़ रहा था। भारत ने आरोप लगाया था कि चीनी सैनिकों ने भारतीय क्षेत्र में अपने दावे के लिए टेंट लगाए थे।

मोदी ने जिनपिंग का अहमदाबाद में स्वागत 

2014 के सितंबर में, जब चीन के सैनिकों ने एलएसी के चुमार क्षेत्र में घुसपैठ की, उसी समय शी जिनपिंग भारत के दौरे पर आए। यह एक ऐतिहासिक अवसर था, क्योंकि यह पहला मौका था जब किसी प्रधानमंत्री ने दिल्ली से बाहर किसी विदेशी नेता का स्वागत किया। अहमदाबाद में जिनपिंग का भव्य स्वागत हुआ, जहां दोनों नेताओं ने साबरमती नदी के किनारे समय बिताया और झूले पर भी साथ बैठे।

ब्रिसबेन में जी-20 समिट 

नवंबर 2014 में ऑस्ट्रेलिया के ब्रिसबेन में जी-20 समिट के दौरान ब्रिक्स देशों के नेताओं की मुलाकात हुई, जिसमें पीएम मोदी ने जिनपिंग से भी चर्चा की।

पहली चीन यात्रा

 प्रधानमंत्री बनने के बाद, मई 2015 में मोदी ने चीन की अपनी पहली यात्रा की। वे पहले विदेशी नेता थे, जिन्हें शी जिनपिंग ने अपने शहर जियान में स्वागत किया। इस यात्रा के दौरान, दोनों नेताओं की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हुई, जिसमें वे एक-दूसरे का हाथ थामे हुए थे। इस यात्रा में भारत और चीन के बीच व्यापार से संबंधित 26 समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए।

भारत की आपत्तियां और मोदी-जिनपिंग की बैठकें

भारत ने चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे पर अपनी चिंताएं व्यक्त की हैं। जून 2016 में, पीएम मोदी और शी जिनपिंग उज्बेकिस्तान के ताशकंद में मिले। यह मुलाकात 'शंघाई सहयोग संगठन' के अधीन हुई, जहां मोदी ने न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप में भारत की सदस्यता के समर्थन में चीन से अनुरोध किया, जो हमेशा इस पर विरोध करता रहा है।

संबंधों में और भी स्पष्टता तब आई जब सितंबर 2016 में हांगझाऊ में जी-20 समिट के दौरान, मोदी और जिनपिंग ने इस मुद्दे पर चर्चा की। भारत ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से संचालित आतंकवाद पर चिंता व्यक्त की। इसके बाद, अक्टूबर 2016 में गोवा में ब्रिक्स समिट में दोनों नेताओं ने व्यापार और रक्षा संबंधों पर बातचीत की।

अस्ताना और अन्य महत्वपूर्ण मुलाकातें

जून 2017 में, पीएम मोदी और जिनपिंग कजाकिस्तान की राजधानी अस्ताना में मिले, जब भारत को 'शंघाई सहयोग संगठन' का सदस्य बनाया गया था। इसके बाद, जुलाई 2017 में हैम्बर्ग में जी-20 समिट में फिर से दोनों ने मुलाकात की। उसी वर्ष सितंबर में जियामेन में ब्रिक्स समिट के दौरान भी उनकी बैठक हुई।

वुहान में वैश्विक वार्ता

अप्रैल 2018 में, मोदी और जिनपिंग की मुलाकात चीन के वुहान में हुई। इस दौरान, दोनों नेताओं ने वैश्विक मुद्दों पर गहन चर्चा की। जिनपिंग ने मोदी को हुबेई के म्यूजियम में ले जाकर उनके स्वागत के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया।

PM मोदी ने 9 जून, 2018 को शंघाई सहयोग संगठन के शिखर सम्मेलन में भाग लिया, जहां उनकी शी जिनपिंग के साथ द्विपक्षीय वार्ता हुई। इस बैठक में ब्रह्मपुत्र नदी के जल मुद्दों और चावल के निर्यात पर समझौतों पर चर्चा हुई। इसके अलावा, मोदी और जिनपिंग की मुलाकातें अर्जेंटीना के जी20 सम्मेलन (नवंबर 2018), किर्गिजस्तान (मई और जून 2019), और महाबलीपुरम (अक्टूबर 2019) में भी हुईं। महाबलीपुरम में उनकी 6 घंटे की बातचीत के दौरान कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर सहमति बनी। नवंबर 2019 में, मोदी ने ब्राजील में 11वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया, जहां शी जिनपिंग से उनकी मुलाकात हुई। 

 मोदी ने अपने प्रधानमंत्री बनने के बाद पांच बार चीन का दौरा किया, जिससे वह 75 वर्षों में सबसे अधिक बार चीन जाने वाले प्रधानमंत्री बन गए। 2014 के बाद से, मोदी और जिनपिंग के बीच 18 बैठकें हुई हैं। गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए, मोदी ने चार बार चीन का दौरा किया, और नवंबर 2011 में उन्हें सीपीसी के अतिथि के रूप में 'उच्चतम स्तर का प्रोटोकॉल' प्राप्त हुआ।

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