प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच ब्रिक्स समिट के दौरान महत्वपूर्ण द्विपक्षीय मुलाकात हुई। इस बैठक में दोनों देशों के बीच कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर सहमति बनी। PM मोदी ने स्पष्ट किया कि भारत-चीन संबंध वैश्विक शांति के लिए अत्यंत आवश्यक हैं।
उन्होंने कहा कि बातचीत का मार्ग खुला रहेगा और 5 साल बाद यह मुलाकात बेहद महत्वपूर्ण है। उन्होंने एक-दूसरे के प्रति सम्मान की बात करते हुए सीमा मुद्दों पर सहमति को सकारात्मक रूप से लिया।
मुलाकात का महत्व
यह बैठक कजान, रूस में हुई और इसका विशेष महत्व है क्योंकि यह 5 साल बाद दोनों नेताओं की पहली आधिकारिक मुलाकात है। मई 2020 में पूर्वी लद्दाख सीमा विवाद के बाद, यह दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों के बीच पहली द्विपक्षीय बातचीत है। यह मुलाकात उस समय हुई जब एक दिन पहले ही भारत और चीन ने एलएसी पर अपनी सेनाओं के गश्त को लेकर एक समझौते पर सहमति जताई थी, जो चार साल से चल रहे गतिरोध को समाप्त करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है।
पड़ोसी देशों की फिर से नजदीकी
पिछले वर्ष नवंबर में, पीएम मोदी और शी जिनपिंग ने जी-20 के दौरान एक दूसरे का अभिवादन किया, लेकिन तब कोई औपचारिक वार्ता नहीं हुई। अगस्त में, जोहांसबर्ग में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान भी दोनों नेताओं के बीच संक्षिप्त बातचीत हुई थी।
ब्रिक्स समिट के दौरान कजान में हुई यह बैठक न केवल महत्वपूर्ण है, बल्कि इससे दोनों देशों के बीच संबंधों को और मजबूत करने की दिशा में एक नई शुरुआत का संकेत भी मिलता है।
16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान, भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच 2019 के बाद पहली बार द्विपक्षीय बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में पीएम मोदी ने कहा कि सीमा पर शांति और स्थिरता हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि भारत-चीन संबंध न केवल हमारे देशों के लिए, बल्कि वैश्विक शांति और विकास के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
PM मोदी ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर भी इस मुलाकात का उल्लेख किया, जिसमें उन्होंने कहा कि इस बैठक का उद्देश्य आपसी विश्वास, सम्मान और संवेदनशीलता को बढ़ावा देना है।
जिनपिंग का स्वागत
बैठक के दौरान, राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा कि कजान में मोदी से मिलकर उन्हें खुशी महसूस हुई, क्योंकि यह पिछले पांच वर्षों में उनकी पहली औपचारिक मुलाकात है। उन्होंने कहा कि इस बैठक पर न केवल दोनों देशों के लोग, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भी नजर है।
विदेश मंत्रालय का बयान
मोदी-शी की मुलाकात के बाद, भारत के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी किया। इसमें कहा गया कि पीएम ने सीमा पर शांति को प्राथमिकता देने की बात की और मतभेदों का समाधान सही तरीके से करने पर जोर दिया। मंत्रालय ने जानकारी दी कि दोनों देशों के प्रतिनिधि जल्द ही सीमा विवाद पर चर्चा करेंगे।
LC पर बनी बात
कजान में हुई यह द्विपक्षीय वार्ता कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर संबंधों में सुधार का संकेत देती है। पिछले चार वर्षों से जारी सीमा विवाद के समाधान की दिशा में चीन ने भी सकारात्मक कदम उठाने की बात स्वीकार की है।
तनाव कम करने का प्रयास
गौरतलब है कि यह बैठक उस समय हुई है जब गलवान घाटी में झड़प के चार साल बाद दोनों देशों के बीच गश्त व्यवस्था पर सहमति बनी है। यह कदम सीमा पर तैनात हजारों सैनिकों के बीच तनाव को कम करने में मदद करेगा।
इस प्रकार, मोदी और शी की यह मुलाकात एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकती है, जो भारत-चीन संबंधों में सुधार की दिशा में एक सकारात्मक संकेत है।