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Dhanteras 2024: क्यों की जाती है धनतेरस पर भगवान धन्वंतरि की पूजा ? जानें महत्व और इसके पीछे की कथा

धनतेरस पांच दिवसीय दिवाली त्योहार की शुरुआत का प्रतीक है। पहले दिन धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है।

Rashmi Singh
  • Oct 23 2024 5:13PM

धनतेरस पांच दिवसीय दिवाली त्योहार की शुरुआत का प्रतीक है। पहले दिन धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है, उसके बाद नरक चतुर्दशी, दिवाली, गोवर्धन पूजा और अंत में भैया दूज का त्योहार मनाया जाता है। हिंदू धर्म में धनतेरस का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान धन्वंतरि सहित कुबेर जी और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है।

हर साल धनतेरस के दिन खरीदारी के लिए बाजारों में काफी रौनक रहती है. धनतेरस के दिन सोने-चांदी के अलावा झाड़ू खरीदने की भी परंपरा है। धार्मिक मान्यता है कि धनतेरस के दिन देवी लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा करने से धन में वृद्धि होती है। इसके साथ ही भगवान धन्वंतरि की पूजा करने से आरोग्य की प्राप्ति होती है। ऐसे में आइए जानते हैं धन्वंतरि देव कौन हैं और धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि की पूदा क्यों की जाती है।

भगवान धन्वंतरि किसका अवतार हैं?
धार्मिक ग्रंथों और पौराणिक कथा के अनुसार धन्वंतरि की उत्पत्ति समुद्र मंथन से हुई थी। भगवान धन्वंतरि को चिकित्सा क्षेत्र में आयुर्वेद का प्रवर्तक और देवताओं का चिकित्सक भी माना जाता है। हिंदू धर्म में भगवान धन्वंतरि को आरोग्य प्रदान करने वाला देवता माना जाता है। मान्यता के अनुसार भगवान धन्वंतरि की पूजा करने से रोगों से मुक्ति मिलती है और आरोग्य की प्राप्ति होती है।

धनतेरस पर धन्वंतरि की पूजा क्यों की जाती है?
पौराणिक मान्यता के अनुसार, अमृत प्राप्त करने के लिए देवताओं और राक्षसों द्वारा समुद्र का मंथन किया गया था। फिर समुद्र मंथन से एक-एक करके 14 चौदह रत्न प्राप्त हुए। समुद्र मंथन के बाद अंततः अमृत की प्राप्ति हुई। पौराणिक कथा के अनुसार, इसके बाद भगवान धन्वंतरि हाथों में अमृत कलश लेकर समुद्र से प्रकट हुए। जिस दिन भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे वह कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि थी। ऐसे में धनतेरस या धनत्रयोदशी के दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा करने की परंपरा है।

धनतेरस पर लोग खरीदारी क्यों करते हैं?
जब भगवान धन्वंतरि प्रकट हुए तो उनके हाथों में अमृत कलश था। यही कारण है कि धनतेरस के दिन बर्तन खरीदने की परंपरा है। लोग दिवाली के बाद धनतेरस पर खरीदे गए बर्तनों को खाने-पीने की चीजों से भरकर रखते हैं। इसके अलावा लोग धनिया खरीदकर भी इन बर्तनों में रखते हैं। मान्यता है कि धनतेरस के दिन खरीदे गए बर्तन में कुछ न कुछ रखने से अन्न और धन के भंडार हमेशा भरे रहते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन खरीदी गई कोई भी वस्तु 13 गुना अधिक लाभ देती है। इसीलिए धनतेरस के दिन लोग पीतल और तांबे के बर्तनों के साथ-साथ सोने और चांदी की चीजें भी खरीदते हैं।

धनतेरस 2024 तिथि 
धनतेरस को धनत्रयोदशी भी कहा जाता है। इस बार त्रयोदशी तिथि 29 अक्टूबर को सुबह 10 बजकर 31 मिनट पर शुरू हो रही है। यह तिथि 30 अक्टूबर को दोपहर 01:15 बजे समाप्त होगी। इस कारण धनतेरस पूजा 29 अक्टूबर 2024 को होगी।

धनतेरस पर खरीदारी के 3 शुभ मुहूर्त 
धनतेरस पर घर, बर्तन, सोने-चांदी के आभूषण, इलेक्ट्रॉनिक्स सामान आदि की खरीदारी की जाती है। अगर आप धनतेरस पर खरीदारी करने जा रहे हैं तो - 
> 29 अक्टूबर, मंगलवार को सुबह 10.31 मिनट से 30 अक्टूबर 6.32 मिनट तक शुभ मुहूर्त रहेगा।
> खरीदारी मुहूर्त - शाम 06.31 - रात 08.13
> तीसरा खरीदारी मुहूर्त - शाम 05.38 - शाम 06.55

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