एक मराठी अखबार के वार्षिक व्याख्यान में “संघवाद और इसकी संभावनाओं को समझना” विषय पर बोलते हुए मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि पिछले कुछ दशकों में अदालतों ने संघवाद पर एक मजबूत ढांचा विकसित किया है, ताकि राज्यों के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित की जा सके। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि भारत में वस्तु एवं सेवा कर (GST) की शुरुआत सहकारी संघवाद का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। उन्होंने कहा कि भारतीयों के लिए संघवाद एक एकात्मक अवधारणा नहीं है, बल्कि इसके कई पहलू हैं।
सीजेआई ने अपने पुराने दिनों को किया याद
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने दिल्ली में अपने कॉलेज के दिनों के दौरान ऑल इंडिया रेडियो में प्रस्तोता के रूप में काम वाले दिनों को भी याद किया। उन्होंने कहा कि उनकी शास्त्रीय संगीतकार मां अक्सर उन्हें तीसरी या चौथी कक्षा में पढ़ते समय मुंबई में एआईआर स्टूडियो में ले जाती थीं। बाद में, 1975 में दिल्ली जाने के बाद, उन्होंने आकाशवाणी के लिए ऑडिशन दिया और हिंदी व अंग्रेजी में कार्यक्रमों की मेजबानी करना शुरू कर दिया। डीवाई चंद्रचूड़ ने यह भी याद किया कि कैसे वह अपने माता-पिता के साथ हिंदी, अंग्रेजी और संस्कृत में आकाशवाणी बुलेटिन सुनते हुए बड़े हुए और देवकी नंदन पांडे, पामेला सिंह और लोतिका रत्नम की प्रतिष्ठित आवाजों से मंत्रमुग्ध हो गए।
कानूनी पेशा कठिन पेशा है
डीवाई चंद्रचूड़ ने वकीलों से अपील करते हुए कहा कि वकीलों को अपने चैंबर में सीखने आने वाले युवाओं को उचित पगार और पारिश्रमिक देना चाहिए। कानूनी पेशा कठिन पेशा है, जहां शुरुआती सालों में रखी गई नींव युवा वकीलों को उनके पूरे करियर में अच्छी स्थिति में रखती है। चंद्रचूड़ ने कहा कि पेशे में हमेशा उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। शुरुआत में कानूनी पेशे में अपने पहले माह के अंत में आप जो राशि कमाते हैं, वह बहुत ज्यादा नहीं हो सकती है।