उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शनिवार को भारतीय संस्कृति में धर्म की मौलिक भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि धर्म जीवन के सभी पहलुओं में मार्गदर्शन करता है और एक धर्मशासित समाज में असमानता का कोई स्थान नहीं होता।
धनखड़ ने स्पष्ट किया कि धर्म केवल मार्ग ही नहीं, बल्कि जीवन की मंजिल और लक्ष्य भी है, जो समस्त जीवों के अस्तित्व पर लागू होता है। उन्होंने इसे व्यावहारिक आदर्श के रूप में प्रस्तुत किया, जो सही जीवन जीने की दिशा दिखाता है।
सहानुभूति और समावेशिता का महत्व
जगदीप धनखड़ ने बताया कि सनातन का अर्थ है सहानुभूति, करूणा, और अहिंसा, जो मिलकर 'समावेशिता' का निर्माण करते हैं। 'नम: शिवाय परायण' कार्यक्रम में भाग लेते हुए धनखड़ ने इसे एक अद्वितीय और प्रभावशाली अनुभव बताया, जो मन, दिल, और आत्मा को एक साथ लाता है।
वैदिक जाप की प्राचीनता
उप राष्ट्रपति ने वैदिक जाप को मानवता की सबसे प्राचीन मौखिक परंपराओं में से एक माना। उन्होंने कहा कि इन पवित्र मंत्रों की लय और उच्चारण मानसिक शांति का संचार करते हैं। वेदों की संरचना और पाठन की जटिलता प्राचीन विद्वानों की वैज्ञानिक उत्कृष्टता को दर्शाती है, जो बिना लिखित रिकॉर्ड के संरक्षित रही है।
विविधता में एकता
धनखड़ ने भारतीय संस्कृति की एक विशेषता के रूप में इसकी विविधता में एकता को रेखांकित किया। यह विविधता समय के साथ विभिन्न परंपराओं के मिश्रण से बनी है, जिसने विनम्रता और अहिंसा के मूल्यों को स्थापित किया है। उन्होंने भारत की अद्वितीय समावेशिता का उल्लेख किया, जो मानवता की एकता की भावना का प्रतिनिधित्व करती है।