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दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को लेकर SC ने हरियाणा-पंजाब सरकार को लगाई फटकार, कहा- 'पराली जलाने को लेकर कोई गंभीरता नहीं....'

प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा सरकार को फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि दोनों सरकारें पूरी तरह विफल साबित हुई है। पराली जलाने के खिलाफ कदम उठाने को लेकर कोई गंभीरता नहीं है।

Rashmi Singh
  • Oct 23 2024 1:16PM

दिल्ली-एनसीआर की आबोहवा और पराली जलाने के मुद्दे पर आज यानी बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट ने पंजाब-हरियाणा को फटकार लगाई है। इस दौरान अदालत ने सीएक्यूएम को  भी जमकर फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि, पराली जलाने से रोकने में नाकाम रहे अधिकारियों के खिलाफ सीधी कार्रवाई करने की बजाय उन्हें नोटिस जारी कर आपने सिर्फ जवाब मांगा है। 

सर्वोच्च न्यायालय ने सुनवाई के दौरान पंजाब के एडवोकेट जनरल और मुख्य सचिव को भी फटकार लगाई। जस्टिस अभय ओका ने कहा, “एडवोकेट जनरल हमें बताइए कि किस अधिकारी के कहने पर आपने केंद्र से ट्रैक्टर और मशीनों के लिए फंड मांगने का झूठा बयान दिया था। हम तुरंत उस अधिकारी को अवमानना का नोटिस जारी करेंगे। चीफ सेक्रेट्री हमें बताएं कि एडवोकेट जनरल को किस अधिकारी ने निर्देश दिए थे।”

वहीं पंजाब की ओर से पेश वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने जैसे ही कुछ कहने की कोशिश की, जज नाराज हो गए। अदालत ने कहा, हमें कुछ भी कहने के लिए मजबूर न करें. राज्य सरकार की गंभीरता दिख रही है. पहले महाधिवक्ता ने कहा कि किसी के खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं है। अब आप बता रहे हैं कि इस साल केवल 5 केस दर्ज किए गए हैं? क्या यह संभव है? कोर्ट ने पंजाब सरकार का पिछला हलफनामा दिखाया, जिसमें लिखा था कि किसी पर मुकदमा नहीं चलाया जा रहा है। 

जज की बात सुनकर सिंघवी ने कहा कि मैं देख रहा हूं... मुख्य सचिव भी इस बात से सहमत हैं कि ऐसा लिखा है। इस पर कोर्ट ने कहा कि आपका हलफनामा यह भी नहीं बता रहा है कि ग्राम स्तर पर निगरानी समिति कब बनी, नोडल अधिकारी की नियुक्ति कब हुई। सरकार ने यह आदेश कब पारित किया? अगर यह कमेटी बनी तो अब तक क्या किया? जज के सवाल पर सिंघवी ने कहा, करीब 9000 लोग हैं। हम पूरी जानकारी देते हुए हलफनामा दाखिल करेंगे।' इस पर सुनवाई करते हुए जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा कि 9000 लोगों ने मिलकर सिर्फ 9 घटनाएं निकालीं? बहुत खूब!

शुद्ध हवा हरेक नागरिक का मूल अधिकार’- SC

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 21 जीवन के अधिकार के तहत शुद्ध हवा हर नागरिक का मौलिक अधिकार है. ऐसे में सरकारों की विफलता सीधे तौर पर नागरिकों को मिले मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को राज्यों द्वारा दिए गए प्रस्ताव पर दो सप्ताह के भीतर निर्णय लेने और मुआवजे की राशि बढ़ाने के संबंध में नियमों में बदलाव करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार कोर्ट के सभी पिछले निर्देशों पर विचार करे और दो हफ्ते के भीतर अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करे. दिल्ली में 13 जगहों पर खुले में कूड़ा जलाने के मुद्दे पर एमिकस ने सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी।  इसके अलावा अमीकस ने वाहनों से होने वाले प्रदूषण को देखते हुए ट्रकों के प्रवेश और औद्योगिक प्रदूषण के बारे में भी जानकारी दी. मामले की अगली सुनवाई अब 4 नवंबर को होगी। 

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