देश के सामने आतंकवाद से उत्पन्न चुनौतियों और उनके निपटारे के उपायों पर केंद्रित दो दिवसीय आतंकवाद निरोधी सम्मेलन का आयोजन गुरुवार से शुरू होगा। इस सम्मेलन में आतंकरोधी एजेंसियों के प्रमुख जम्मू-कश्मीर में बढ़ती आतंकवादी गतिविधियों से लेकर देश के विभिन्न हिस्सों में सुरक्षा को लेकर पैदा हो रही नई चुनौतियों पर चर्चा करेंगे।
विमानों और होटलों में बम की अफवाहों से निपटने के मुद्दे भी एजेंडा में होंगे।
अमित शाह करेंगे उद्घाटन, राष्ट्रीय सुरक्षा पर अहम चर्चाएं
गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह इस सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे। गृह मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) द्वारा आयोजित इस सम्मेलन में राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े सभी अहम मुद्दों पर गहन विचार-विमर्श होगा। बीते दस सालों में आतंकवादी घटनाओं में भारी कमी देखी गई है, लेकिन सुरक्षा संबंधी नई चुनौतियों के मद्देनजर यह सम्मेलन बेहद अहम माना जा रहा है।
पूर्वोत्तर में अलगाववाद कम, नक्सलवाद पर भी कार्रवाई जारी
देश के पूर्वोत्तर हिस्सों में अलगाववादी घटनाओं में न्यूनतम स्तर पर गिरावट आई है। वहीं, अमित शाह ने मार्च 2026 तक नक्सलवाद को पूरी तरह खत्म करने का लक्ष्य रखा है। इन सकारात्मक पहलुओं के बावजूद नई सुरक्षा चुनौतियां भी लगातार सामने आ रही हैं, जिसके समाधान के लिए सम्मेलन में रणनीति बनाई जाएगी।
विमानों और होटलों में बम की अफवाहों से निपटने के उपाय
विमानों और होटलों में बम की अफवाहों से निपटने के लिए अभी तक कोई ठोस रणनीति नहीं बन पाई है। सम्मेलन में इस मुद्दे पर गहन चर्चा की संभावना है ताकि सुरक्षा एजेंसियां बेहतर रणनीति बना सकें। गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद पर काफी हद तक नियंत्रण पाया गया है, लेकिन आतंकवाद का इको-सिस्टम पूरी तरह से खत्म नहीं हो पाया है।
मोदी सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति और आतंकवाद का इको-सिस्टम
मोदी सरकार की आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत, आतंकवाद के इको-सिस्टम को पूरी तरह समाप्त करना प्रमुख उद्देश्य है। सम्मेलन में इस पर भी विचार किया जाएगा कि गिरफ्तार आतंकियों को अदालत से जल्दी और सख्त सजा दिलाने के लिए एजेंसियों के बीच समन्वय कैसे बढ़ाया जाए।
जम्मू-कश्मीर विधानसभा में विशेष दर्जे पर चर्चा
जम्मू-कश्मीर विधानसभा ने भारी हंगामे और भाजपा के विरोध के बीच राज्य के लिए विशेष दर्जे की बहाली का प्रस्ताव पास कर दिया है। हालाँकि, इस प्रस्ताव में अनुच्छेद 370 का कोई उल्लेख नहीं है। इससे पहले नेशनल कान्फ्रेंस ने चुनाव के दौरान विधानसभा में अनुच्छेद 370 की वापसी का प्रस्ताव लाने का वादा किया था। भाजपा ने इसे संविधान-विरोधी बताते हुए विरोध किया, जबकि कांग्रेस ने प्रस्ताव का समर्थन किया।